15. एजेंट बुशबी साहेब – रीवा राज्य के सिक्के

 

सारथी से साभार

 

बुशबी का सिक्का

बात १९९० की है. उन दिनो मै जबलपुर मे पदस्थ था. मेरे दफ़्तर मे एक कनिष्ट अधिकारी श्री सोनीजी थे. उनकी सोने चाँदी की दूकान हुआ करती थी.
मेरे सिक्कों के संग्रह के बारे में जान कर उन्हों ने कहा कि बहुत सारे सिक्के उनके यहाँ बिकने के लिए आते हैं.  मैने उनको परखा और अपनी क्षमतानुसार चाँदी की ही कीमत पर खरीदता रहा. सोने के भी पुराने सिक्के दिखाए गये पर मैने हाथ खड़े कर दिए.फिर खबर मिली कि रीवा में कोई मथुरावाले सेठ हैं. उनके यहाँ पुराने सिक्के बोरों में भरी पड़ी है. १०० रुपये किलो की दर से बेचते हैं. छाँटने नही देते. मैने भी सोची कि क्यो ना एक बार आजमाया जावे.

कुछ ही दिनों में १ किलो भर सिक्के एक मित्र के मध्यम से प्राप्त हुए. मैने उन्हे कास्टिक सोडा के घोल में डुबो कर रखा. फिर उनकी सफाई की. अधिकतर सिक्के मध्ययुगीन सुल्तानों के थे वो भी अलग अलग क्षेत्रों के. कुछ मौर्य शुंग के ढलवा तांबे के सिक्के. रीवा रियासत के भी कई थे. एक सिक्के ने मुझे उलझा दिया. विभिन्न लिपियों की जानकारी रहते हुए भी मैं सिक्के पर अंकित नाम पढ़ने में असफल रहा. एक बुजुर्ग संग्रह करता श्री आर.आर. भार्गवजी के शरण में गया. देखते ही उन्हों ने सिक्के को एक ओर पटक दिया और कहा “बुशबी तो है”. मैं भौंचक्का रहा गया. मैने सिक्के को उठाया और दोबारा कोशिश की. बुशबी कहीं नहीं दिख रहा था. मैने दोबारा उनसे कहा, चलिए पढ़ कर बताइए. अब चौकने की बारी उनकी थी. उन्होने कहा अरे यह तो मिरर इमेज है. मुझे दे दो. बात समझ में आने के बाद मैं कैसे मानता.

अँग्रेज़ों के जमाने में भारत में एक तो अँग्रेज़ों के द्वारा प्रशाशित प्रांत हुआ करते थे और लगभग ४०% भाग उन देसी रियासतों के थे जिन्हों ने अँग्रेज़ों से संधि कर रखी थी. इन देसी रियासतों में प्रशासन राजा का ही हुआ करता था.  परंतु उनपर अंकुश बनाए रखने के लिए अंग्रेज सरकार अपना एक पोलिटिकल एजेंट नियुक्त कर देती थी. कुछ रियासतों को अपनी खुद की मुद्रा और डाक टिकट जारी करने की छूट थी. रीवा भी एक ऐसी ही रियासत थी जिसने अपने सिक्के जारी किए थे. अँग्रेज़ों से दोस्ती निभाने के लिए या फिर अपनी स्वामी भक्ति प्रदर्शित करने हेतु विभिन्न रियासतों के द्वारा विशेष सिक्के जारी करने की परंपरा रही है. ऐसे सिक्कों को हम commemorative coins कहते हैं. रानी विक्टोरिया, या दोस्ती लंडन के नाम से ये सिक्के जारी हुए थे.


राजा रघुराज सिंग के शासनकाल में रीवा रियासत एक अकेला राज्य था जिसने पोलिटिकल एजेंट को खुश करने के लिए तत्कालीन एजेंट बुशबी के नाम पर सिक्के जारी किए. इसकी इंग्लेंड में आलोचना भी हुई. परंतु इंग्लेंड के संग्रह कर्ताओं को इस सिक्के ने क्रेज़ी कर दिया और वे अपने संग्रह में इसे शामिल करने के लिए लालायित थे.

रीवा रियासत द्वारा जारी किए गये कुछ सिक्कों की छाया प्रति नीचे दी गयी है. परंतु प्रथम बार हम एजेंट बुशबी का वो सिक्का प्रकाशित कर रहे है जिसमे बुशबी का नाम उल्टा अंकित है. वस्तुतः सिक्के की डाई ग़लत बन गयी थी. उल्टे अक्षरों में दाएँ से बाएँ agent bushby sahep पढ़ सकते हैं. प्रथम तीन सिक्के राजा जैसिंह देव (१८०९-१८३५), एक महाराजा विस्वनाथ सिंह (१८३५-१८५४) और सबसे उपर  महाराजा रघुराज सिंह (१८५४-१८८०) के हैं. 

                                                Jaisingh1

                                                Jaisingh2

                                                Jaisingh

                                                Viswanath

                                                                                                    

3 Responses to “15. एजेंट बुशबी साहेब – रीवा राज्य के सिक्के”

  1. Sanjay Uchcharia Says:

    Article must induced every reader to conserve our nation’s wealth.

  2. Uday Prakash Says:

    This is the first time when I knew about it. Incredible information. Thanks Rahul ji.

  3. Rupam Says:

    Mere pass bhi ase same coin bhot sare hai

एक उत्तर दें

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  बदले )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  बदले )

Connecting to %s


%d bloggers like this: