

प्रवीण त्रिवेदी जी के ब्लॉग से प्रेरित
मित्रों से आग्रह है की वे भी अपने अपने ब्लोगों पर शपथ युक्त इस संदेश को स्थान दें
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This entry was posted on दिसम्बर 4, 2008 at 10:02 पूर्वाह्न and is filed under Uncategorized. You can follow any responses to this entry through the RSS 2.0 feed.
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दिसम्बर 4, 2008 को 10:44 पूर्वाह्न
सही है।
दिसम्बर 4, 2008 को 10:47 पूर्वाह्न
ham ek hain ham saath hain ham jeetenge !
दिसम्बर 4, 2008 को 11:49 पूर्वाह्न
किसी भी जंग को जीतने के लिये पुरानी पीढी को तैयार होना होगा की वो नयी पीढी के साथ बैठ कर बात करे । हर विचार को सुनना होगा और तैयार करना होगा नयी पीढी को की वो सैनिक बने डरपोक नागरिक ना बने . ताकत और अकल दोनों की जरुँत होती हैं जंग मे . ताकत नवयुवक और नवयुवती मे हैं अगर आप चाहते हैं जंग जीतना तो उस ताकत को जागने वाले बने . जिस दिन हम मे से कोई भी नयी पीढी को अपने साथ लेकर आगे बढेगा जंग ही ख़तम हो जायेगी .अभी तो हर समय हमारा समाज पीढियों और लिंग विभाजन और धर्मं की लड़ाईयां ही लड़ रहा हैं . बच्चो को बड़ा बनाईये उनके हाथ मे “आक्रोश ” दीजिये और आप उस आक्रोश को सही दिशा दीजिये . जिन्दगी की हर जंग आप और हम जीतेगे.
सर पर कफ़न बाँध कर जो मारने को नहीं “मरने को ” तैयार हो वही लड़ाई लड़ भी सकता हैं और जीत भी सकता हैं । जो मर सकता हैं वही मार भी सकता हैं ।
दिसम्बर 4, 2008 को 12:29 अपराह्न
apke vicharo se sahamat hun or apke sath hun . abhaar.
दिसम्बर 4, 2008 को 1:54 अपराह्न
सर कल वो टमाटर वाला लेख किसका था ?
हम सब आपके साथ हैं
दिसम्बर 4, 2008 को 8:49 अपराह्न
सुब्रमणियन
हम सब साथ है और आपका ये आव्हान अब ज्ञान दर्पण भी दिखाई दे रहा है |
दिसम्बर 4, 2008 को 9:39 अपराह्न
इस अभियान में उपस्थिति दर्ज कराने के लिए आभार।
दिसम्बर 5, 2008 को 9:07 पूर्वाह्न
अभियान में सम्मिलित होने का आभार!
दिसम्बर 5, 2008 को 9:36 पूर्वाह्न
भाई हम भी आप के साथ है, इस लाडाई मै,
धन्यवाद
दिसम्बर 5, 2008 को 7:50 अपराह्न
सर हम सब आपके साथ हैं|
दिसम्बर 6, 2008 को 7:12 पूर्वाह्न
बिल्कुल सही बात दादा हम भी आपके साथ
दिसम्बर 6, 2008 को 7:19 अपराह्न
hum is yudh me saath hai.
अगस्त 31, 2017 को 3:49 अपराह्न
[…] सुब्रमणियन के आव्हान और उनके ब्लॉग मल्हार और प्रवीण त्रिवेदी के ब्लॉग से […]