ओणम पेशल विथ शुभकामनाएं
पूरे भारत में बारिश से जनता बेहाल है. कैसी विडम्बना है. जून और जुलाई के दोनों माह निकल गए और हम लोग बारिश की चंद बूंदों के लिए भी तरसते रहे. इस माह भी उमड़ घुमड़ कर बदरा छाते रहे परन्तु न जाने क्यों उनमें बड़ी बेरुखी देखी गयी. बिना बरसे ही आगे बढ़ जाते. हाँ बदली के कारण गर्मी से कुछ छुटकारा जरूर मिला परन्तु उमस ने बेहाल कर रखा है. अब कुछ दिनों से रुक रुक कर बौछारें पड़ रही हैं जिसको मीडिया झमाझम कह रही है जबकि औसत बारिश भी नहीं हुई है. झीलों की इस नगरी में बड़ी झील का जल स्तर कुछ सेन्टीमीटर ही बढ़ा है जब कि हमें कई फीट चाहिए. जल प्रदाय का मुख्य स्रोत कोलार बाँध का जल स्तर भी कुछ सेन्टीमीटर ही बढ़ा है. आने वाले दिनों में यदि बारिश न हो तो अगली गर्मी के दिनों में यहाँ से भागना ही पड़ेगा.
बागीचों के पेड़ पौधे भी सूख गए थे और यही हाल हमारे आँगन की बगिया का भी था. परन्तु कुछ बौछारों से प्रसन्न हो सभी पौधों में फिर से प्राण आ गए हैं. उनके द्वारा व्यक्त की जा रही ख़ुशी की अभिव्यक्ति निम्न चित्रों में है.
यह एक भारी बेल है, नाम का पता नहीं हैयह गुडहल की बहुत ही छोटी किस्म है
अंग्रेजी में नाम इक्सोरा है.यह अभी अध खिला है. गोलाकार लिए हुए पुष्प गुच्छ बहुत सुन्दर होता है.
यह बहुत ही छोटे फूल हैं. हमें नाम नहीं मालूम है
यहाँ इसे मधुकामिनी कहते है. बेहद सुगन्धित.
यह बटन गुलाब है. बहुत छोटा परन्तु प्यारा सा
नोट: इन चित्रों में से कोई भी चुराए हुए नहीं हैं. सब हमारे ही हैं और चुराए जाने की पूरी छूट प्रदत्त है