मेरी पत्नी के निधन के बाद इस ग्रीष्म कालीन छुट्टियों में मेरी बिटिया मिलने आयी. मेरे भी सेवानिवृत्त हुए लगभग एक दशक हो चले थे. मुझे बहलाए रखने में उसने कोई कसर नहीं छोड़ी. एक दिन कहा, संस्थाओं को अपने सेवानिवृत्त अधिकारियों को वापस बुलाकर, सलाहकार बना लेना चाहिए. आखिर उनके अनुभव का लाभ संस्था को मिलेगा न? सुनकर बड़ा अच्छा लगा. हमने उसे बता दिया कि हमारे संस्थान में एक प्रक्रिया के तहत राष्ट्रीय स्तर पर कुछ प्रशिक्षकों को पंजीकृत किया गया है और उनमे से एक मै भी हूँ. प्रशिक्षण केन्द्रों में प्रवचन देने का ३००० रुपये प्रति दिन तय है. यदि मुझे इसका लाभ लेना हो तो हर माह स्थानीय प्रशिक्षण केंद्र के प्रमुख, जो हर मायने में हमसे कनिष्ट ही होगा, को सलाम करने जाना होगा. मतलब अपनी मार्केटिंग. ग्लोबलाइसेशन के इस दौर में यह तो अपरिहार्य है. हमें एक कुत्ते की याद आ गयी.
“एक मालदार आदमी, अरे अपने वही भाटिया जी जो जर्मनी में रहते हैं, शिकार करने अफ्रीका गये. साथ के लिए अपने बूढ़े कुत्ते को भी ले लिया जिसका नाम किल्लर था. एक दिन किल्लर खरगोशों का पीछा करते हुवे भटक गया. उसी समय उसने देखा कि एक तेंदुआ दौड़े चला आ रहा है, अपने नाश्ते के लिए. बूढा किल्लर घबराया परन्तु नजदीक ही पड़े हड्डियों में से एक को चबाने लगा. जब तेंदुआ पहुंचा तो उस बूढ़े किल्लर ने कहा बेटा आ गए! देखो अभी ही इस तेंदुवे का स्वाद लिया है. सोच ही रहा था कि एक और मिल जाए तो मजा आ जाता. यह सुन तेंदुवे की हालत ख़राब हो गयी. मन में यह सोच, साला, मुझे भी खा जाएगा, उल्टे पैर भाग खड़ा हुआ. पेड़ पर बैठा एक बन्दर इस पूरी घटना को देख रहा था. उसने सोचा चलो इस ज्ञान का प्रयोग कर अपना बचाव कर सकते हैं. दौड़ा दौड़ा वह तेंदुवे तक पहुँच ही गया और उसने तेंदुवे को वास्तविकता से अवगत करा दिया.
तेंदुवा क्रोधित हो बोला चल मेरे पीठ में बैठ जा, उस दुष्ट कुत्ते को देख लेते हैं.
तेंदुआ वापस आया, अपने पीठ पर बन्दर को बिठाकर.
किल्लर ने देख लिया कि तेंदुआ बन्दर के साथ वापस आ रहा है. अब तो शामत ही है. परन्तु किल्लर ने पीठ फेर ली मानो उसने कुछ देखा ही न हो और जोर से चिल्लाया, साला बन्दर, एक घंटे हो गए अब तक वापस नहीं आया. उससे कहा था कि दूसरा तेंदुआ ढून्ढ कर ला.”
कहानी सुनने के बाद बिटिया ने कहा, पापा आप बहुत इर्रेलेवेंट बात करते हो. प्रत्युत्तर में हमने कहा, देखो यह तुम्हारी समस्या है. रेलेवंस तुम्हें ढूँढना है. इस कहानी में तेंदुए की जगह “मुर्गा” फिट कर लो. साधारण मुर्गा नहीं चलेगा, शुद्ध देसी होनी होगी. बूढ़े कुत्ते से कहा जाएगा, जा कडकनाथ लेकर आ.