कोयम्बतूर के रेस कोर्स रोड पर एक प्यारा सा छोटा उद्यान है, थॉमस पार्क.सायंकालीन पैदल भ्रमण में इस उद्यान के पास से गुजरना हुआ. एक किनारे अपने चंपा का बड़ा पेड़ दिखा और गुच्छों में सफ़ेद फूल लगे थे. ध्यान से देखा तो यह वृक्ष भिन्न ही लगा. तने और डगालों में काँटों का अम्बार दिखा. पूरे पेड़ का चित्र तो आसानी से ले लिया परन्तु फूलों के चित्र के लिए पसीना बहाना पड़ा क्योंकि वे डगालों के अंत में काफी ऊँचाई पर थे. जैसा कि अपने पूर्व के पोस्ट “कनक चंपा” के बारे में लिखा था, इस पेड़ के विषय में भी जानकारी स्थानीय तौर पर उपलब्ध नहीं हो पाई. पुनः एक बार “गूगल शरणम् गच्छामि”.
इस पेड़ को मेडागास्कर पाम (Madagascar Palm – Pachypodium Lamerei aka) की संज्ञा दी गयी है और कहा गया है कि यह सीधे किसी पाम की तरह ऊपर जाता है और ऊपरी छोर में फूल लगते हैं. साधारणतया यह वृक्ष शाखाओं में नहीं बंटती इसीलिए इसे पाम कहा गया है जब कि यह है नहीं. इसका तना केक्टस की तरह रसदार होता है. इस वृक्ष का मूल भी मेडागास्कर ही है और एक दुर्लभ पजाति का है. कोयम्बतूर में पाया गया यह पेड़ तो और भी विशिष्ट है क्योंकि यह कई शाखाओं में विभाजित है. संभवतः यह काफी पुराना भी होगा क्योंकि वह पूरा रेस कोर्स का इलाका एक विदेशी कंपनी “टी. स्टेंस एंड को” के स्वामित्व में है.
हम उस उद्यान का नाम भूल गए थे. दूरभाष पर मेरी बहू ने एक तो मेरा भ्रम दूर कर दिया और चिढाते हुए यह भी बताया कि आज की तारीख में वह पेड़ पूरी तरह फूलों से लदा है. यहाँ तक कि पत्ते नहीं दिख रहे हैं. यह भी बताया कि टीवी पर आनेवाले कार्टून नेटवर्क पर यह पेड़ एक प्रमुख किरदार है. काश वह तस्वीर भेज पाती, जिसके लिए अफ़सोस जताया. उसने तो एक हप्ते पहले महिलाओं की पिकनिक में अपना केमरा गुमा दिया है.
जुलाई 23, 2011 को 7:35 पूर्वाह्न
आपकी पोस्ट पढ़ कर मन में झब्बे-झब्बे फूल खिल गए, शायद इतने कैमरे में न समाते.
जुलाई 23, 2011 को 8:14 पूर्वाह्न
फोटुओं से लोडिड कैमरे गुम क्यों हो जाते हैं? पोस्ट खिली-खिली सी है. सुंदर.
जुलाई 23, 2011 को 8:35 पूर्वाह्न
बढ़िया जानकारी मिली इस फ़ूल के बारे में।
इसीलिये अपन ने तो अभी तक कैमरा ही नहीं लिया, मोबाईल कैमरे से काम चलाते हैं।
जुलाई 23, 2011 को 8:39 पूर्वाह्न
जानकारी और तस्वीरों के लिए आभार.
जुलाई 23, 2011 को 10:17 पूर्वाह्न
पेड़ देखने पर लगता है कि तना किसी का और शाखाएं किसी ओर की है. विदेशी पौधा यहाँ पनप गया… बेचारे के बीजों का फैलाव हुआ होगा कि नहीं, यह तो प्रकृतिक अधिकार है भई…
जुलाई 23, 2011 को 10:18 पूर्वाह्न
अद्भुत् !!
जुलाई 23, 2011 को 11:54 पूर्वाह्न
अति सुंंदर
जुलाई 23, 2011 को 12:02 अपराह्न
मैडागास्कर पाम सुन्दर लगा! जानकारी के लिए धन्यवाद!
इन्टरनेट से पता चला कि लिस्बन, पुर्तगाल से वास्को डा गामा १४९७ से १५२४ के बीच समुद्र मार्ग से अफ्रीका होते हुए केरल प्रदेश में अपने टीम के साथ व्यापार हेतु तीन बार आये और कालीकट / कोचीन आदि स्थानों में रहे भी… और उसकी मृत्यु भी कोचीन में ही १५३९ में हुई… संभव है कि अफ्रीका / मैडागास्कर आदि से सुंदर अथवा विचित्र पेड़-पौधे आदि दक्षिण भारत भी आगये और यहीं बस गए हों!
और, यह भी पता लगा कि टी स्टेंस कंपनी १८६१ से ही दक्षिण भारत में काम कर रही है…
जुलाई 23, 2011 को 3:15 अपराह्न
सुंदर जानकारी व मनोहारी चित्रों के लिए आभार
जुलाई 23, 2011 को 5:06 अपराह्न
मुझे तो इस पेड़ के पत्ते एवं फ़ूल सप्तपर्णी जैसे लगे। फ़ूल भी ऐसे ही लगते हैं, तथा तने से दूध निकलता है, लेकिन सप्तपर्णी के तने में कांटे नहीं होते। शायद उसी प्रजाति का कोई पेड़ हो।
आभार
जुलाई 23, 2011 को 6:12 अपराह्न
सजीव चित्र, रोचक वर्णन. बधाई.
जुलाई 23, 2011 को 8:45 अपराह्न
कनकचंपा की तरह ही कोई मनमोहक नाम सुझाते इसका भी।
जुलाई 23, 2011 को 11:10 अपराह्न
फ़ूल बहुत सुन्दर हैं…
पिकनिक पर कैमरा खो गया..जानकार अफ़सोस हुआ..नहीं तो फ़लों से लदे पेड़ की तस्वीर देख सकते थे.
जुलाई 24, 2011 को 12:34 पूर्वाह्न
यह तो इधर भी देखा है. कांटो के साथ चौड़े चिकने पत्ते और सुन्दर सफेद फूल.. धन्यवाद..
जुलाई 24, 2011 को 3:02 पूर्वाह्न
पहली ही बार जाना इसके बारे में।
जुलाई 24, 2011 को 5:24 अपराह्न
सुंदर जानकारी और तस्वीरें
जुलाई 24, 2011 को 9:03 अपराह्न
अरे ..तो यह मेडागास्कर पाम निकला ….बाबा जी ने तो इसका नामकरण गुलायची किया था और यही मुझे याद भी है !
जुलाई 24, 2011 को 10:28 अपराह्न
बहुत खूब …. हार्दिक शुभकामनायें !!
जुलाई 25, 2011 को 9:23 अपराह्न
महकती हुई पोस्ट,आभार.