अपने बच्चों की पैदायिश के बाद उन्हें बढ़ते हुए देखने में एक अलग प्रकार के सुख की अनुभूति होती है. बच्चे का करवट बदलना, घुटनों के बल जमीन पे रेंगना, छोटी छोटी चीजों को पकड़ना, खड़े होना, चलना, दौड़ना ऐसे बहुतेरे पड़ाव होते हैं. कुछ कुछ यही अनुभूति अपने पालतू जानवरों को लेकर होती है. अपने द्वारा रोपे गए बीज का अंकुरित होना, पौधा बनना, उसका बढ़ना, फूल लगना आदि भी हमें उतना ही प्रफुल्लित करने की क्षमता रखते हैं.
वर्षों पहले हम कोंकण तट पर गए हुए थे. वहां हमने “हेलिकोनिया” नामक एक पौधा देखा जिसमें बड़े सुन्दर फूल लटक रहे थे. अंग्रेजी में उसे lobster claw (झींगे का पंजा) कहते हैं. पहले भी देखा था परन्तु अब हम उसके जड़ों में खोदकर एक छोटा पौधा उठा लाये थे. २ साल के बाद फूल खिले फिर कुछ कारणों वश हमें उसे जमीन से उखाड़ कर गमले में रखना पड़ा. अब चार साल होने को हैं. फूलों का कहीं अता पता नहीं है.
यह तो वैसा ही हुआ कि बच्चा बड़ा तो हो रहा था परन्तु कंठ नहीं फूट रहे थे. चिंता हुई और कुछ जानकारी हासिल की. पता चला कि हेलिकोनिया तो उष्ण कटिबंधीय प्रदेशों में ही पनपता है. गर्मी भी हो अच्छी बारिश भी. यहाँ कुछ वर्षों से अपर्याप्त वर्षा हो रही थी. इस वर्ष ईश्वर की कृपा से सभी नदियाँ और जलाशय उफान पर हैं. हमारा हेलिकोनिया भी प्रफुल्लित हो उठा और एक कली प्रकट हुई. चार छै दिनों के बाद पंखुड़ी निकली. कुछ दिनों बाद एक और पंखुड़ी और इस तरह यह सिलसिला चलता रहा. अबतक छै पंखुड़ियां निकल चुकी हैं और इसके आगे कुछ बढ़ोतरी की सम्भावना नहीं रही. गमले में रखने के कारण यह स्थिति बनी होगी अन्यथा इसके फूल काफी लम्बाई ले लेते हैं. इसकी अनेकों प्रजातियाँ पायी जाती हैं. प्रस्तुत है मेरे अपने हेलिकोनिया (Heliconia rostrata) के क्रमवार चित्र.
नवम्बर 7, 2011 को 7:19 पूर्वाह्न
चितग्राही…..बहुत सुन्दर ..इन दिनों उत्तरांचल में भी नीली आभा वाला एक फूल १२ सालो बाद खिला लोगों का मन मोह रहा है !
नवम्बर 7, 2011 को 7:21 पूर्वाह्न
यहां जगदलपुर में तो पनपते देखा है इसे ! आपकी स्नेह छाया में वह भोपाल में भी पनप गया पर गमले में उसकी बढ़वार पर बंदिश बनी रहेगी !
नवम्बर 7, 2011 को 7:55 पूर्वाह्न
अच्छे मौसम का संकेत है यह पुष्प।
नवम्बर 7, 2011 को 7:56 पूर्वाह्न
हमने तो पहली बार ही देखा है, अतिसुन्दर
नवम्बर 7, 2011 को 8:06 पूर्वाह्न
वाह! आपके आनन्द को चित्रों ने हमारे लिये अनुभवगम्य बना दिया। बहुत सुन्दर!
नवम्बर 7, 2011 को 8:14 पूर्वाह्न
सुन्दर मनमोहक चित्रों के साथ इस पौधे के बारे में पढकर अच्छा लगा |
Gyan Darpan
नवम्बर 7, 2011 को 8:30 पूर्वाह्न
बहुत सुन्दर पुष्प और उतनी ही सुन्दर फोटोग्राफी।
नवम्बर 7, 2011 को 8:37 पूर्वाह्न
अपने लगाये पौधों को बढ़ते देखना वाकई बहुत सुखद है, और अगर ये सिर्फ़ शौक के लिये किया जाता है तो और भी बेहतर। वैसा ही आनंद आता है जैसा एक माँ को एक नये जीव को सृष्टि के चक्र से जोड़ने में आता होगा।
जो हैं, जितने हैं, जैसे हैं – आपके हेलिकोनिया पसंद आये। हमारी तरफ़ से भी इन्हें एक बार प्यारा स्पर्श दीजियेगा।
नवम्बर 7, 2011 को 8:55 पूर्वाह्न
जिससे भी अपनत्व हो जाए उसे और उसकी प्रगति को देखते रहना अच्छा लगता है. सुंदर चित्र.
नवम्बर 7, 2011 को 9:17 पूर्वाह्न
सुखद. यह पौधा-फूल छत्तीसगढ़ में दिखाई पड़ता है, अगली बार दिखा तो तस्वीर भेजता हूं.
नवम्बर 7, 2011 को 11:42 पूर्वाह्न
सुन्दर. वातावरण की अनुकूलता के अभाव में पौधा मरा नहीं, यही काफी है. यह फूल पहली बार देख रहा हूँ.
नवम्बर 7, 2011 को 3:46 अपराह्न
सुन्दर मनमोहक
नवम्बर 7, 2011 को 6:28 अपराह्न
bahut hi khubsurat phool hain.pahali baar dekhe hain.
sach hai..paudhon ko badhte falte phoolte dekhna ek sukhd anubhav hai.
abhi main ne gamle mei mirchi ke paudhe lagaye hain ,bahut hi aanand aata hai roz unhen badhte dekhna…!
नवम्बर 7, 2011 को 9:33 अपराह्न
अच्छी जानकारी,सचित्र-सुंदर पोस्ट.
नवम्बर 7, 2011 को 9:46 अपराह्न
मनमोहक चित्र और अच्छी जानकारी….
नवम्बर 8, 2011 को 12:32 पूर्वाह्न
यह फूल देखा तो कई बार था किन्तु इसका नाम आज आपसे ही मालूम हुआ।
आपका परिश्रम और धैर्य फलीभूत हुआ। बधाइयॉं।
नवम्बर 8, 2011 को 10:34 पूर्वाह्न
अपने घर में भी खिल्ते हुए देख रही हूँ ! बहुत सुन्दर !
नवम्बर 8, 2011 को 1:29 अपराह्न
साझापन में ही आनंद है। यह फूल आपका हिस्सा है और आप फूल के! अब तो हम भी इसका हिस्सा हो गए…इसे खिलते देख हम भी खिल उठे!!
नवम्बर 8, 2011 को 3:21 अपराह्न
वाह यह तो परिचित फूल है,पर नाम मालूम न था आजतक…
आभार विस्तृत जानकारी के लिए..
नवम्बर 8, 2011 को 6:03 अपराह्न
यह पौधा पहली बार १९९१ में अपने बगीचे में लगाया था, तबसे इसपर लट्टू हूँ। कितने बगीचे बदले किन्तु इसके प्रति मोह बना हुआ है। अब तो खैर बगीचा गमलों में सिमट गया है। आपके प्रिय पौधे के लिए शुभकामनाएँ। बहुत सुन्दर फूल खिले हैं, गमले के हिसाब से बढ़िया है।
घुघूती बासूती
नवम्बर 9, 2011 को 12:41 अपराह्न
हेलिकोनिया पर सचित्र जानकारी, विशेषकर प्रकृति की उत्पत्ति का मानव जीवन से तुलनात्मक प्रस्तुति, के लिए धन्यवाद!
नवम्बर 9, 2011 को 8:53 अपराह्न
बधाई हेलिकोनिया के पुष्पित होने पर । कहीं इसी को तो बर्ड ऑफ पैरेडाइज़ नही कहते क्यूं कि ये पौधे मैने हवाई में और कोकण में भी देखें हैं । वही नही तो उसका चचेरा भाईया बहन होगा । मेरा भतीजा बोकारो में रहता है उसने भी अपने यहां ये फूल खिलाये हुए हैं । बहुत सुंदर चित्र और बहुत भावभीना लेख ।
नवम्बर 10, 2011 को 7:44 अपराह्न
वाह! हेलीकोनिया तो वैसे ही फूल रहा है जैसे हमारे बगीचे में नरगिस। बहुत सुन्दर लगता है निहारना।
नवम्बर 20, 2011 को 11:44 पूर्वाह्न
बहुत सुन्दर … अच्छी जानकारी मिली
नवम्बर 20, 2011 को 4:41 अपराह्न
सुन्दर,सुन्दर… अति सुन्दर.
तभी तो सुनीता जी ने भी हलचल पर इसे चुना.
नवम्बर 21, 2011 को 5:38 अपराह्न
Beautiful pictures Sir. What camera do you use?
नवम्बर 26, 2011 को 7:36 अपराह्न
My sincere hanks. The camera is an in expensive one. Canon Power Shot A3100.