कोको Cocoa

संयोगवश आज कोको दिवस है.

हम सब भाई बहन केरल के अपने घर में इकट्ठे  हुए थे अपने दिवंगत पिता की जन्म शताब्दी मानाने. मैं अपना केमरा लिए बागीचे की बाड के आस पास घूम रहा था. बहुतेरे जंगली बेल आदि उग आये थे जिनमे खूबसूरत फूल या फल लगे थे. जो अच्छे लगे उनकी तस्वीर ले रहा था. एक भाई निकट आया और बोला  “अपने ताऊ  के बगीचे के छोर में एक अनजाना पेड़ है और फल भी लगा है. मैंने कभी ऐसा फल नहीं देखा है”. वहां हमारी इंजिनियर भांजी  भी हाथ में केमरा लिए थी. उस से हमने कह दिया “चल, मामा कुछ बता रहें हैं, फोटो खींच कर आते हैं”. पास ही था. फोटो भी खींच ली और दो तीन फल भी तोड़ लाये.

अपने घर के गेट के पास पहुँचने पर दूसरे भाई भी इकठ्ठा हो गए. कोच्ची में रहने वाले भाई ने फल को देख तपाक से बोला “यह तो कोको है”. उसे पूरा विश्वास  था क्योंकि पहले भी देख चुका था. अब बहस शुरू हुई कि यह पेड़ वहां आया कहाँ से क्योंकि ताऊ जी का घर बरसों से बंद पड़ा है. देख रेख भी नहीं हो रही है. मेरे पास कुछ  जानकारी थी. ७/८ साल पहले केडबरी कंपनी वालों ने कोको की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए पौधे वितरित किये थे और कहा था कि पूरा उत्पाद वे खरीद लेंगे. संभवतः यह पेड़ भी उसी समय का होगा. और लोगों के बाड़े में भी ऐसे पेड़ होंगे, जिन्हें हम लोगों ने नहीं देखा है. बात सबके द्वारा मान ली गयी.

अब उस फल का पोस्ट मार्टम होना था. वह भी किया गया. जिस फल को हमने काटा वह कुछ कुछ पका था.  सफ़ेद आवरण (सीताफल जैसा) में लिपटे बीज थे. आवरण को छीलने पर कोफ्फी के बीज जैसा दिखा. चख कर देखा तो गूदा मीठा लगा, कुछ कुछ पके कटहल जैसा स्वाद. दूसरे फल की बारी आई. वह कुछ अधिक कड़ा था. गूदे में उतनी मिठास नहीं थी. तीसरे को काट कर सबने खाया.

कोको को वैज्ञानिक  भाषा में थिओब्रोमा केकाओ(Theobroma cacao) कहा गया है. यह  देवताओं का भोज्य पदार्थ है, ऐसा  माना गया है दक्षिण अमरीका के माया संस्कृति के मिथकों में. इसके बीजों को भून कर पीस लिया जाता है जिसका प्रयोग चोकलेट में होता है. मुझे याद है, वर्षों पहले होटलों में पेय पदार्थ के रूप में चाय, कोफी, ओवलटिन  के अतिरिक्त कोको भी मिला करता था. गरम दूध में एक छोटी चम्मच कोको और शक्कर मिलाकर दिया जाता था. इंस्टेंट  कोफ्फी की तरह.

कोको लेटिन अमरीकी मूल का है परन्तु विश्व के अन्य उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में भी पाया जाता है. इसके  सबसे बड़े  उत्पादक ऐवोरी कोस्ट और घाना हैं जो उत्तर पश्चिम  अफ्रीका में हैं.  मधुमेह एवं उच्च रक्तचाप  में कोको का सेवन लाभकारी माना गया है.


21 Responses to “कोको Cocoa”

  1. arvind mishra Says:

    मैंने सोचा काफी के बारे में है कुछ -कोकाओ पर जानकारी मिली

  2. incitizen Says:

    आप के यहां फल-फूलों फोटो देखकर अच्छा लगता है.

  3. JC Joshi Says:

    सचित्र जानकारी के लिए धन्यवाद! आजकल उच्च रक्तचाप और मधुमेह से पीड़ितों की संख्या निरंतर बढती जा रही है – शायद यह लाभदायक हो…

  4. राहुल सिंह Says:

    चखने के लिए एहतियात जरूरी, प्रकृति-वनस्‍पतियां हमेशा मेहरबान नहीं होतीं.

  5. vasantujas Says:

    very nice article. got the info about cocoa.thanks.

  6. प्रवीण पाण्डेय Says:

    कोको के बारे में उपयोगी जानकारी।

  7. Jyoti Mishra Says:

    loved the shots full of greenery… n very informative post !!

  8. Gyandutt Pandey Says:

    देखिये कितना भ्रम होता है; मैं कोको को बींस जैसा फल समझता था। बहुत कुछ छोटे गोल बेर के आकार का फल।
    आपकी पोस्ट ने ट्यूब लाइत जला दी! 😆

  9. rashmi ravija Says:

    बहुत ही अच्छी और नई जानकारी मिली…
    पहली बार कोको का पेड़ और फल देखने को मिले.

  10. Abhishek Says:

    कोको दिवस पर महत्वपूर्ण जानकारी. सुना है केरल में लोग इसी के चौकलेट इस्तेमाल करते हैं ज्यादा.

  11. Isht Deo Sankrityaayan Says:

    अच्छी जानकारी है.

  12. pujaupadhyay Says:

    बात चॉकलेट की हो तो हम खुशबू सूंघते हुए पहुँच जाते हैं…कोको का पेड़ देख कर अच्छा लगा यहाँ पोस्ट में भी…इसी बात पर जाती हूँ एक स्क्वायर डेरी मिल्क खाने 🙂

  13. समीर लाल Says:

    पहली बार देखा कोको का फल…

  14. sanjaybengani Says:

    कोको का फल ऐसा नहीं सोचा था 🙂
    यह भारतीय नहीं है शायद. केडबरी यहाँ लाई है.
    खूद का पौधा हो तो, भूनो, पिसो दूध में मिलाओ और बच्चों के मजे ही मजे… 🙂

  15. sktyagi Says:

    बाहर से देखने पर हमे तो नारियल का भाई सा दिखा…कटा हुआ देखा तो अलग ही नज़ारा था!

  16. ali syed Says:

    आदरणीय सुब्रमनियन जी ,
    माया संस्कृति वाले देवताओं का फल… अगर ७/८ साल पुरानी बात ना होती तो कहता कि ईश्वर ने आपके आंगन में चमत्कार किया है 🙂

    अपने आँगन में ये जुगाड़ नहीं है सो पड़ोसी के पेड़ में लगे हुए कठहलों के पकने का इंतज़ार करते हैं ,फिर हम भी मान लेंगे कि हमने कठहल के अंदर कोको खाया है 🙂

  17. Smart Indian - अनुराग शर्मा Says:

    सुन्दर सचित्र जानकारी. आपके ब्लॉग पर सदा कुछ नया जानने को मिलाता है.

  18. Bharat Bhushan Says:

    पहली बार कोको देखा. अच्छा लगा.

  19. Shikha Varshney Says:

    हम्म तो यह कोको है…यहाँ तो बहुत प्रचलित है .पेय में भी और बाकी के केक वगेरह में भी …
    आभार इस सार्थक पोस्ट का.

  20. ghughutibasuti Says:

    सुब्रमणियन जी, यह पोस्ट बहुत पसंद आई. पेड़ पौधों से मोह भी है और नए नए के बारे में जानना पसंद है. कोको होता कड़वा है और फल मीठा! बीज भी खाकर देखते तो शायद कडवे होते.
    घुघूतीबासूती

  21. विष्‍णु बैरागी Says:

    मैं तो कोको और कॉफी को एक ही मानता था। आपकी इस पोस्‍ट से भ्रम दूर हुआ।

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