
अभी कुछ दिनों पूर्व फेसबुक पर बागवानी की शौकीन एक महिला ने एक चित्र डाला था और उस फल के बीज उपलब्ध कराने की पेशकश की थी. फोटो को देख मैं उछल पड़ा क्योंकि एक तो बचपन की ढेर सारी यादें इसके साथ जुडी थीं और इस फल को दशाब्दियों से नहीं देखा था. जब कभी भी याद आई तो दोस्तों को या बच्चों को बताने की कोशिश की थी लेकिन समझा नहीं सका था. मैंने तो सोचा था कि इसके पेड लुप्त हो गए हैं.

बात गंगा इमली की ही है. हम लोग अंग्रेजी इमली कहते थे. एक पाकिस्तानी फेसबुकिया ने इसका नाम जंगल जलेबी बताया. बचपन में गर्मियों की भरी दुपहरी में दोस्तों के साथ गुलेल, डंडे आदि से लैस होकर शहर के बाहरी तरफ जाया करते थे जहाँ काफ़ी पेड थे. पेड बहुत बड़े थे और कटीले भी. इस कारण ऊपर चढ़ने में परेशानी होती थी. डंडों से शाखाओं को प्रहार कर गिराते थे और अपनी अपनी जेबों में ठूंस ठूंस कर भर लाते थे. उन्हीं पेड़ों के आगे एक बार बढ चले थे, एक पहाडी के तले जहाँ खजूर के पेड के पोले तने में एक लाश रखी देख भाग आये थे. घर आते ही बुखार चढ आया था. जेब से गंगा इमलियों की बरामदगी मेरी जम कर धुनाई का कारण बनी.


आज पुनः एक बार फोटो में गंगा इमली देख कर मन प्रसन्न हो गया बचपन में तो ज्ञान नहीं था. लेकिन अब मालूम हुआ कि यह फल मूलतः मेक्सिको का है और दक्षिण पूर्व एशिया में बहुतायत से पाया जाता है. फिलिप्पीन में न केवल इसे कच्चा ही खाया जाता है बल्कि चौके में भी कई प्रकार के व्यजन बनाने में प्रयुक्त होता है.
इस फल में प्रोटीन, वसा, कार्बोहैड्रेट, केल्शियम, फास्फोरस, लौह, थायामिन, रिबोफ्लेविन आदि तत्व भरपूर मात्र में पाए जाते हैं. इसके पेड की छाल के काढे से पेचिश का इलाज किया जाता है. त्वचा रोगों, मधुमेह और आँख के जलन में भी इसका इस्तेमाल होता है. पत्तियों का रस दर्द निवारक का काम भी करती है और यौन संचारित रोगों में भी कारगर है . इसके पेड की लकड़ी का उपयोग इमारती लकड़ी की तरह ही किया जा सकता है.
यदि आपके गाँव / शहर में हो तो बताएं.
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This entry was posted on मई 27, 2014 at 7:14 पूर्वाह्न and is filed under Environment, Personal. You can follow any responses to this entry through the RSS 2.0 feed.
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मई 27, 2014 को 7:58 पूर्वाह्न
बचपन में इसे देखा था. आपकी तरह कई वर्ष बाद इसे देखा है. ये फोटो अतीतराग (nostalgia) पैदा करती हैं. आपका आभार.
मई 27, 2014 को 9:24 पूर्वाह्न
बरेली में तो नहीं देखी पर शाहजहाँपुर के गांवों में बहुतायत से मिलती थी। पाकिस्तानी नाम की तरह वहाँ भी जंगल जलेबी ही कहलाती थी। बचपन में तो मुझे इसका स्वाद पसंद नहीं था, शायद अब पुनर्विचार करूँ।
मई 27, 2014 को 9:30 पूर्वाह्न
और वही हुआ जिसका अंदेशा था, कोई टेक्नीकल प्रॉब्लम है टिप्पणी पोस्ट होने में !
2014-05-27 8:08 GMT+05:30 Vinay Vaidya :
बचपन में खाई हैं। ये कभी खट्टी नहीं होती। मेरे घर के सामने के पार्क / उद्यान में लगी हैं लेकिन बच्चों को पता ही नहीं है ! या शायद मुझे ही इस बारे में पता न हो!(कि उन्हें पता है या नहीं !)
बहरहाल धन्यवाद और शुभकामनाएँ ! और हाँ, अब पोस्ट देखूँगा। वहाँ संभव हुआ तो और एक टिप्पणी लिख दूँगा।
सादर,
मई 27, 2014 को 12:22 अपराह्न
दिल्ली में तो यह पेड़ लुप्त नहीं हुआ है। दिल्ली विश्वविद्यालय कैंपस में अनेक पेड़ लगे हुए हैं। कैंपस के सामने कमला नेहरू रिज और सिविल लाइंस में कुदेसिया बाग में अब भी अनेक पेड़ हैं। यहाँ इसे ‘जंगल जलेबी’ कहते हैं। बचपन में हम इसे खाते थे। अब तो बच्चों को शहतूत, फालसा, बेर, बेल आदि नॉन-कमर्शियल या सीमित उत्पादन वाले देसी फलों के बारे में कम ही पता है।
मई 27, 2014 को 12:36 अपराह्न
देवघर में मेरे घर के सामने ही इसका पेड़ हुआ करता था। हम इसे जलेबिया का पेड़ कहते थे। सुना तो ये भी था कि इस पेड़ पर भूत हुआ करता था। हाँ इसके फल कभी खाये हों ऐसा याद नहीं।
मई 27, 2014 को 2:33 अपराह्न
जंगल जलेबी , रूहेलखंड में खूब मिलती है ! मंगलकामनाएं !
मई 27, 2014 को 3:22 अपराह्न
Raipur me bahutayad me uplabdh hai.
मई 27, 2014 को 4:01 अपराह्न
हम भी जंगल जलेबी ही कहते थे. हरियाणा में बहुत होती थीं. मेरे बगीचे की बाड़ ही इन पेड़ों की थी। हमने बहुत खा रखी हैं। आज फिर से याद दिलाने के लिए आभार।
घुघूती बासूती
मई 27, 2014 को 4:01 अपराह्न
बचपन के बाद आज देखा…. आभार याद दिलाने का.
मई 27, 2014 को 7:48 अपराह्न
मुंह में पानी आ रहा है, और ऑंखें मिंचने को हैं सर!
मई 27, 2014 को 10:19 अपराह्न
हमारी बाल अमली. रायपुर संग्रहालय परिसर भरा-पूरा है इनसे.
मई 28, 2014 को 9:20 पूर्वाह्न
I have parhaps seen it but do not remember where?
मई 29, 2014 को 11:32 अपराह्न
ise ham log jailabi ka phal ya per kahte hain …batase ke per jaisa jilebi ka ped…jalebi mithai ka aaka r isi se grahan kiya gaya lagta hai.
मई 30, 2014 को 12:52 अपराह्न
जी हां हम इसको जंगल जलेबी ही कहते हैं, मेरे घर में ( उत्तर प्रदेश के जनपद कानपुर के अर्मापुर एस्टेट में ) इसके कुछ पेड़ थे अब तो हम लोग वो स्थान छोड़ चुके हैं।
मई 31, 2014 को 1:24 पूर्वाह्न
हमने भी बचपन में ये जंगल जलेबियाँ खाईँ हैं ,मध्य और उत्तर प्रदेश में इसके पेड़ खूब दिखाई देते हैं .फ़ोटो देखा तो मुख में वही स्वाद आज फिर ताज़ा हो गया ..
जून 18, 2014 को 1:14 अपराह्न
I have seen this in the local markets in Chattisgarh and I thought this to be the fruit of ‘Babul’ and got confused to be something called soap fruits (used for washing utensils, etc) and never knew this was edible.
जुलाई 18, 2014 को 12:11 अपराह्न
ye meri bachpan ki yaado se judi hai
http://swayheart.blogspot.in/
अगस्त 12, 2014 को 4:19 पूर्वाह्न
बचपन में बहुत खाई है यह जंगल जलेबी या विलायती इमली।
फ़रवरी 10, 2015 को 9:43 पूर्वाह्न
If vital, evaluation how the rates for distinctive loan varieties compare.
s home and a vehicle can generally be retained under both types of bankruptcy
filings as long as their equity doesn. According to your credit rating, you
may well be able to transfer a few or all of your balances to lower, or perhaps zero percent,
interest rate cards. At no time did BANK OF AMERICA take any steps to disclose the Hustle to
Fannie Mae or Freddie Mac. Do not be ashamed if you find yourself in a hard financial situation due to accruing monthly debt and the inability to
pay.
अक्टूबर 30, 2015 को 10:15 पूर्वाह्न
बहुत सुन्दर रचना हैं..keep it up..achhiBaatein.com
नवम्बर 24, 2015 को 12:15 पूर्वाह्न
बहुत ही सुंदर यात्रा वृतांत।
जून 5, 2016 को 8:33 अपराह्न
Good article. Can I use one of your photo in my blog please?
जनवरी 20, 2017 को 11:16 अपराह्न
Hamare. MP mai aaiye sir kaafi saari mil jayegi.. …jankari k liye Dhanyabaad aapka blog mujhe behad pasand aaya…..S.K.Meena from M. P. Khandwa
मार्च 25, 2017 को 1:01 अपराह्न
Mujhe Ganga Imli Bachpan Se Hi Bahut Pasand Hai Specialy Lal wali aaj market dekha to bachpan ki yaad aa gai Maine internet me search kiya to pata chala ki ise to kafi log pasand karte hai achha laga jankar. Ruchika Wahi Raipur Chhattisgarh
जुलाई 7, 2017 को 9:19 अपराह्न
Mission school korba in madhyapradesh then now Chattisgargh had many tree behind Mr Rousloff/s house and I remember going there with friends and relishing the taste still remember the taste ,little tangy little sweet and soft A
Ajay Sinha
जुलाई 7, 2017 को 9:21 अपराह्न
Mission school korba in madhyapradesh then but now Chattisgargh had many trees behind Mr Rousloff/s house and I remember going there with friends and relishing the taste .I still remember IT ,little tangy little sweet and soft
Ajay Sinha
सितम्बर 12, 2017 को 5:05 पूर्वाह्न
aur hum log ise jungle jalebi kahte the khair sabki apni apni bhasah shali hai ye lekh bahut badhiya badhiya yatra vrittant hai padhkar achha laga
http://www.pushpendradwivedi.com/%E0%A5%9E%E0%A4%BF%E0%A5%9B%E0%A4%BE%E0%A4%93%E0%A4%82-%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%9C%E0%A5%8B-%E0%A4%AE%E0%A5%8B%E0%A4%B9%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%AC%E0%A4%A4-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%AA/
मार्च 30, 2018 को 9:04 पूर्वाह्न
हमारे ghav में भी हैं और हम लोग इसे कातरा बोलते हैं इससे बहुत सारी यादें जुड़ीं हुई हैं हमारी बचपन कीi love कातरा
मई 1, 2018 को 11:33 पूर्वाह्न
Mere village me ganga emli jai
Village dasani po.-revli decline
District neemuch m.p.
मई 27, 2018 को 3:16 अपराह्न
हम भी इस को खूब खाये है हमारे गांव में यह अभी पेड़ है
अक्टूबर 6, 2018 को 11:54 पूर्वाह्न
bachpan mei khai hai. ab to swad bhi bhul gaye hai. hamare yaha ise jalebi ka ped kahte hai.pata nahi ab hai ki nahi
मई 4, 2020 को 2:36 अपराह्न
सुंदर विवरण
harshad30.wordpress.com
फ़रवरी 24, 2021 को 3:49 अपराह्न
super information
जंगल जलेबी क्या हे जंगल जलेबी के फ़ायदे
अप्रैल 10, 2022 को 4:09 अपराह्न
Hamare gaon mai ganga imli bahut hoti hai aur kafi mithi vi hoti hai ,humne is bar bahut khai hai sir