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गंगा इमली Camachile (Pithecellobium dulce)
मई 27, 2014Environment, Personal में प्रकाशित किया गया | 34 Comments »
जापानी दम्पति मेहमान बने
मार्च 6, 2013हमारे लिए फरवरी का प्रथम सप्ताह कुछ ख़ास रहा. मुंबई से मेरे एक दूर् की साली का फोन आया था और वे अपने जापानी मेहमान को लेकर भोपाल आना चाह रही थीं. वैसे मेरी तरफ़ से उन्हें पहले ही निमंत्रण था लेकिन मुझे थोड़ी सी दुविधा थी. ठैरने के लिए तो घर पर ही बेहतरीन सुविधा उपलब्ध करायी जा सकती थी और वाहन भी उपलब्ध था परन्तु चिंता उनके खान पान की थी. मैंने बग़ैर झिझके अपनी बात रख दी थी तिस पर साली ने कहा जीजाजी मै हूँ ना. चौका मैं संभाल लूँगी. बस मुझे तो यही चाहिए भी था.
उन्हें हवाई अड्डे से लिवा लाने के लिए पुत्र से आग्रह किया था और वह् खुशी खुशी राजी हो गया था. अब चूँकि मेरी गाड़ी 5 लोगोंको झेल नहीं सकती थी इसलिए एक लंबी गाड़ी “तवेरा” का इंतजाम भी कर लिया गया. नियत समय पर वे पहुँच गए और घर पर उनके नहाने धोने के लिए गर्म पानी का इंतजाम तो था ही परन्तु पता चला वे सब कुछ कर के ही निकले थे.
केंजी ताजीमा 80 वर्ष के हैं और एक कलाकार भी. उन्हें अँगरेजी बिलकुल भी नहीं आती परन्तु उनकी पत्नी मिचिको जो 70 वर्ष की हैं, अँगरेजी में वार्तालाप करने में सक्षम हैं. हर एक दो साल में इनका भारत आना होता है और वे अपनी कलाकृतियों को मुंबई के जहाँगीर आर्ट गेलेरी में प्रदर्शित भी करते आए हैं. इस बार भोपाल आने का मकसद केवल एक ही था और वह् था भीमबेटका के शैल चित्रों का अवलोकन.
चूँकि वे तीन दिन रहने वाले थे, हमने उन्हें साँची, विदिशा, उदयगिरि, भोजपुर आदि जगहों के भ्रमण का सुझाव दिया और वे मान गए. तदनुसार रोज़ आराम से सभी जगहों को देख् भी आए. हाँ मेरा पुत्र भी उनके साथ ही था.
घर पर रहते हुए केंजी सुबह शाम अकेले ही बाहर निकल पड़ते और साथ होता उनका एक स्केच बुक जिस में वे रेखा चित्र बना लाते. उन्हें ही वे बड़े कैनवास पर फुरसत से घर वापसी के बाद अभिव्यक्त करेंगे.
मंगलवार के दिन हमारे मुहल्ले में हाट भरता है और सब के सब हाट देखने गए थे. मटर उन्हें सस्ती लगी सो दो किलो खरीद भी लाये. मुझे दोनों पति पत्नी बड़े सरल स्वभाव के लगे. खान पान के लिए कोई विशेष व्यवस्था की जरूरत नहीं पड़ी. रोटी,सब्जी, दाल, चावल, साम्बार से पूरी तरह संतुष्ट थे.
जाते जाते केंजी ने हिन्दी में कहा “मुझे बड़ी खुशी हुई”
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