पश्चिमी श्रीलंका – सुरम्य समुद्र तट

श्री पी.एन. संपत कुमार, कोचिन शिपयार्ड, कोच्ची
के आलेख का हिंदी रूपांतर

कोलम्बो में हमारे ठैरने की व्यवस्था कोलम्बो डॉकयार्ड ने कर रखी थी. वहां के अतिथि गृह के संपर्क अधिकारी ने हमें अपने कार्यक्रम को निर्धारित करने में अत्यधिक सहयोग दिया था.

                                        कोलम्बो – भीगी भीगी सी

                                               कोलम्बो का रेलवे स्टेशन

१९ वीं सदी से २० वीं सदी तक कोलम्बो परंपरागत रूप से उपमहाद्वीप में एक महत्वपूर्ण व्यावसायिक केंद्र रहा है जिसके कारण उसने भारत सहित कई अन्य राष्ट्रों के पेशेवरों को आकर्षित किया है. कोलम्बो की एक उन्नत समुद्री परंपरा भी रही है. पूरे विश्व में श्रीलंका की चाय, इलायची और अन्य मसालों की मांग अब भी बनी हुई है. आज का कोलम्बो एक आधुनिक महानगर है जो अपने गौरवशाली अतीत को पुनर्स्थापित  करने की कोशिश कर रहा है. वहां के आतंरिक संघर्ष के ख़त्म हो जाने से लोगों ने राहत महसूस किया है. अंततोगत्वा शांति स्थापित हो रही है. एक अच्छा नेतृत्व रहे तो शीघ्र ही सिंगापूर को भी पीछे छोड़ने की संभावनाएं बनती हैं.

बहमूल्य रत्नों (नीलम का खनन रत्नपुरा  में किया जाता है) एवं सिले सिलाये वस्त्रों की खरीदी के लिए कोलम्बो सबसे अच्छी जगह है. श्रीलंका की चाय,  रंगीन  मुखौटे, बुटिक कारीगरी आदि की अच्छी मांग है. नारियल वहां का स्थानीय उत्पादन है फिर भी वह प्रति नग ४० रुपयों (स्थानीय) में (भारतीय मुद्रा में लगभग २० रुपये) बिकती है. हमारे मानकों के लिहाज़ से यह कीमत अत्यधिक है. यही हाल वहां शाक सब्जी, चावल और दालों का भी है.

                                              बाज़ार में नारियल

                                                 दूकान में मुखौटे

                                            गोले (Galle ) फेस होटल

                                         स्लेव आईलेंड का इलाका

“पेटा” यहाँ का मुख्य बाज़ार है जहाँ हर चीज मिलती है और आप मोल भाव कर सकते हैं. बहुत अच्छे शौपिंग माल्स भी हैं जो अपेक्षाकृत महंगे हैं. गोले (Galle) फेस रोड यहाँ का व्यावसायिक केंद्र है और सड़क के उस पार का समुद्री तट सप्ताहांत में परिवारों के लिए छुट्टी मानाने की जगह है. यहाँ राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है. इसी सड़क पर सभी प्रमुख होटल (हमारे ‘ताज समुद्र’ सहित) भी हैं. इसी इलाके में उग्रवादियों द्वारा बारम्बार बम विस्फोट आदि किये जाते रहे हैं. लगा हुआ ही “सिन्नेमम गार्डेन” वहां का पॉश आवासीय क्षेत्र है. स्लेव आइलैंड में शासकीय एवं व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के कार्यालय हैं.

                                   बौद्धों के लिए भी गणेश जी पूजनीय हैं

                                                 गंगा रामाया बौद्ध विहार

                                        मुरुगन अथवा कार्तिकेय का मंदिर

                                                     मस्जिद

धार्मिक स्थलों में यहाँ गंगा रामैय्या  बौद्ध विहार, एक बौद्ध मठ, हिन्दुओं का कार्तिकेय तथा शिव मंदिर ख्याति प्राप्त हैं. इनके अलावा एक मस्जिद और पुर्तगाली चर्च भी है.

श्रीलंका के कई समुद्री तट (बीच) विश्व स्तरीय हैं. इनकी संख्या इतनी है कि चुनाव करना बड़ा मुश्किल हो जाता है.  श्रीलंका के दक्षिणी छोर में स्थित “गोले” (Galle) तक जाने के लिए हम लोगों ने पश्चिमी समुद्र तटीय मार्ग को चुना. सड़क के साथ साथ ही रेलवे लाइन भी जाती है और पूरी यात्रा के दौरान अपने दाहिनी तरफ के समुद्र को निहारते रहना एक सुन्दर अनुभूति रही.

रास्ते में (समुद्री किनारे) लकड़ी के कारीगरों (बढई) की एक बस्ती दिखी जो श्रीलंकाई फर्नीचर बनाने में निपुण थे. वे आज भी लकड़ी की आराम कुर्सियां, डोलने वाली (कमानीदार) कुर्सियां बनाते हैं जिनका  विश्व में बड़ा व्यापक बाज़ार है. यहाँ के बढई बहुत ही ऊंचे दर्जे की कारीगरी के लिए प्रसिद्द हैं. बड़े बेहतरीन मुखौटे बनाते हैं और उनका शिल्प कर्म उच्च कोटि का है. इन कारीगरों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बने एक संग्रहालय में भी हम लोग गए थे जो आगे हिक्कादुवा (Hikkaduwa) बीच के पास ही है.

                                           मुखौटों का संग्रहालय

                                         हिक्कादुवा का बीच (समुद्र तट)

कोलम्बो से ६० मील दक्षिण में हिक्कादुवा (Hikkaduwa) का प्रसिद्द बीच पर्यटकों के लिए एक पसंदीदा जगह है. उस समय सुबह के १० बजे थे. किसी बीच में जाने के लिए एकदम ही अनुपयुक्त. अचानक हुई बारिश ने तो सत्यानाश ही कर दिया. आश्चर्य नहीं हुआ जब हमने बीच को वीरान पाया.

एक भवन के ऊपर लिखा था “Hikkaduwa Diving School”. यह देख कर समझ में आया कि वहां समुद्र में गोते लगाने का प्रशिक्षण दिया जाता है. उस भवन में हम लोगों ने प्रवेश किया. वहां उपस्थित सज्जनों ने हम लोगों को समुद्र में ले जाकर मूंगो की चट्टानों/बागों और वहां की निराली दुनिया को दिखलाने की पेशकश की. स्थानीय १५०० रुपयों में वहां चले चलने के प्रस्ताव को हम लोगों ने ख़ुशी ख़ुशी मान लिया. हामारे चालक महोदय ने इस सौदे का यह कह समर्थन किया कि यह एकदम जायज़ है.

समुद्र में कुछ किलोमीटर जाने के बाद पानी के नीचे के जीवन के अद्भुत नज़ारे देखने मिलते हैं. हामारी नांव  में नीचे कांच लगी हुई थी और यही सहायक हो रहा था. फूलों की तरह अलग अलग रूपों में भांति भांति के मूँगों की संरचनाये (कुछ तो पत्ता गोभी के आकर के भी थे) और समूह में तैरतीं रंगीन मछलियाँ  बड़ी लुभावनी लगीं. समुद्र कुछ अशांत सा था और हमें अपने आपको संतुलित रखने में बड़ी कठिनाई हो रही थी. यह एक कारण था कि हम चाह कर भी तस्वीरें नहीं ले सके, जिसका हमें अफ़सोस है. नांव खिवैय्ये ने कुछ और आगे चल कर डोल्फिनों को दिखा लाने की पेशकश की थी परन्तु हमने ठुकरा दिया. 

खतरनाक सुनामी का असर और भी अधिक भयावह होता यदि वहां मूंगे की चट्टानों का अवरोध न होता. विदित हो कि `हिक्कादुवा (Hikkaduwa) में ही उस विध्वंसकारक सुनामी की चपेट में  एक यात्री ट्रेन आ गयी थी और १००० से अधिक लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी.

हिक्कादुवा से आधे घंटे के सफ़र के बाद हम लोग गोले (Galle) पहुंचे. यह शहर भी उस विध्वंशकारी सुनामी का शिकार बना. यहाँ हजारों की संख्या में लोग काल कलवित हुए थे. यह रेलवे स्टेशन से युक्त एक सुन्दर शहर है. एक अच्छा क्रिकेट का मैदान भी है जहाँ अन्तराष्ट्रीय स्पर्धाएं होती हैं. पुर्तगालियों और बाद में डच लोगों ने यहाँ एक किला बनवाया और अपना नियंत्रण रखा. किले के खँडहर और कार्यरत लाईट हाउस यहाँ के प्रमुख आकर्षण हैं. शहर और वहां की पुरावस्तुओं (एंटीक) की दूकानों को देख कर लगा कि हम कोच्ची के फोर्ट इलाके में हैं. क्यों न हो, आखिर दोनों में ऐतिहासिक समानताएं भी तो हैं. गोले (Galle) एक प्राचीन बंदरगाह था. श्रीलंका से इलाईची का निर्यात ईसापूर्व १४०० सालों से किया जा रहा है.

                                                 किले का प्रवेश द्वार

                                                                   किले के अन्दर एक पुराना भवन

                                        किले के अन्दर का एक भाग

                                          किले के अन्दर की एक गली

                                     दक्षिणी छोर पर स्थित प्रकाश स्तम्भ

गोले (Galle) का आधुनिक इतिहास सन १५०५ से प्रारंभ होता है जब एक पुर्तगाली जहाज़ तूफ़ान में फंसकर यहाँ किनारे आ लगा था. वहां के लोगों ने पुर्तगालियों को प्रवेश करने नहीं दिया तब बलपूर्वक पुर्तगालियों ने  गोल पर कब्ज़ा जमा लिया. सन १६४० में पुर्तगालियों को डच (होल्लेंड/निदरलेंड) लोगों के समक्ष समर्पण करना पड़ा. गोल पर अब डच लोगों का कब्ज़ा हो गया. वर्त्तमान किले का निर्माण डच लोगों ने ही १६६३ में किया था. सूर्य, चन्द्र और नक्षत्र नाम से तीन बुर्ज बनाये गए. श्रीलंका पर कालांतर में अंग्रेजों का अधिपत्य हो गया. उन्होंने किले को बिना कोई परिवर्तन किये यथावत रहने दिया और गोल के लिए प्रशासनिक केंद्र के रूप में उपयोग किया.

                                               उनवतुना बीच
दक्षिण पश्चिम की ओर ३ मील और आगे है विश्व के १२ सुन्दरतम बीचों में एक “उनवतुना” (ऐसा ही उनका दावा है). किनारे नारियल के पेड़ों से आच्छादित चार किलोमीटर लम्बे रेत का फैलाव समुद्र की शान्ति का आनंद लेने वालों के लिए मानो स्वर्ग ही है. यहाँ गोताखोरी के लिए अनुकूल परिस्थितियां है. समुद्र में आगे मूँगों की चट्टानें हैं ओर उथला होने की वजह से डुबकी लेकर नहाना,तैरना सभी एकदम सुरक्षित है.

स्कूबा जैसे रोमांचक जल क्रीडा के लिए तो यह जगह सर्वोत्तम है हालाकि हम लोग  ऐसी गति विधियों से दूर ही रहे. लगभग ३ घंटे समुद्र तट में तैरते,नहाते गुजार दिए. हमारा पुत्र तो पानी से बाहर आने से इनकार ही करता रहा और बड़ी मुश्किल से वह अनमने से होकर लौटने के लिए तैयार हुआ. जीवन में मैंने भी इस से अच्छी बीच नहीं देखी है जहाँ मैंने नहाया हो.

                                            उनवतुना में समुद्र                                                                          उनवतुना में समुद्र
सुनामी के बाद जो यहाँ से पलायन कर गए थे वे कई वर्षों तक यहाँ वापस लौटने के लिए राजी नहीं थे. कई लोग मध्य  श्रीलंका में जाकर बस गए थे. अभी कुछ ही वर्षों से शासकीय प्रयासों और अन्तराष्ट्रीय पर्यटकों क वापसी से पर्यटन व्यवसाय ने जोर पकड़ा है.

भारत घर वापसी के एक पखवाड़े बाद हम लोगों ने यह जानने की कोशिश की कि श्रीलंका में और क्या देखना बाकी रह गया था. उनकी सूची भी बना ली. त्रिंकोमाली (तिरुकोन्नामलई) का मशहूर ब्रिटिश बंदरगाह जहाँ रामेश्वरम या अन्य ज्योतिर्लिंगों  के समकक्ष महत्त्व रखने वाला शिव मंदिर, कातिरकमा (कटरगमा), ऐतिहासिक महत्त्व का स्कन्द कुमार (कार्तिकेय) का मंदिर जो दक्षिणी श्रीलंका में है, पूर्वी तट पर के कुछ अच्छे बीच,यल्ले राष्ट्रीय उद्यान, आदम की चोटी और उत्तर का अशांत क्षेत्र बचा हुआ है. अब क्योंकि तूतीकोरिन (तूतुकुडी) और कोलम्बो के बीच समुद्री यातायात प्रारंभ हो चला है और उत्तरी श्री लंका के लिए भी ऐसी सेवायें प्रारंभ होने वाली है, एक बार और श्री लंका की यात्रा के बारे में सोचा जा सकता है. कुछ जगहें ऐसी होती हैं जहाँ बारम्बार जाने की इक्षा होती है, अपने गृह नगर जैसा.

 

30 Responses to “पश्चिमी श्रीलंका – सुरम्य समुद्र तट”

  1. राहुल सिंह Says:

    लगा कि हम अपने आत्‍मीय और भले पड़ोसी के बारे में बहुत कम जानते हैं.

  2. sushma Naithani Says:

    Thanks for sharing this wonderful travelogue..

  3. सतीश सक्सेना Says:

    राहुल सिंह जी से मैं भी सहमत हूँ ! मनोरम चित्र …
    शुभकामनायें आपको !

  4. arvind mishra Says:

    First time I knew about Shrilanka in all its totality and details ..thanks a lot!

  5. प्रवीण पाण्डेय Says:

    बड़ा ही सुन्दर दृश्य है समुद्र किनारे का।

  6. NEERAJ JAT Says:

    श्रीलंका यात्रा बढिया ज्ञानवर्धक रही।

  7. induravisinghj Says:

    रमणीय समुद्र तट,सार्थक जानकारी…

  8. tanusharmaa Says:

    खूबसूरत..रोचक…जानकारी और उससे भी खूबसूरत आपकी लगाईं तस्वीरें 🙂

  9. girish kolhe Says:

    bahut hi sunder aur rochak jankari ke liye dhanyavad

  10. Nitin Says:

    सुन्दर!!

  11. Dr.ManojMishra Says:

    बेहतरीन और नई जानकारी,आभार.

  12. संजय @ मो सम कौन? Says:

    बेहतरीन, बेहतरीन, बेहतरीन।

  13. Kajal Kumar Says:

    वाह आनंद आ गया आपके साथ श्रीलंका की यात्रा कर… जब भी सार्क देशों के लोगों से मिलता हूं तो लगता ही नहीं कि किसी विदेशी से बात कर रहा हूं… यही बात यहां के चित्रों में है… लगता है कि आप भारत के ही किसी एक हिस्से में हैं… यूं भी मैं भारत को एक देश नहीं, एक continent मानता हूं 🙂

  14. shubhada Says:

    as if i traveled through sri lanka.photos have animated the text.wonderful.

  15. समीर लाल Says:

    बहुत सुन्दर….अच्छा लग तस्वीरों और विवरण को देख कर…नारियल इतना मंहगा होने का कारण नहीं बताया? शायद निर्यात कर दिया जाता हो.

  16. PN Subramanian Says:

    @श्री समीर लाल:
    वहां एक साधारण मजदूर को स्थानीय रुपयों में ८५० मिलते हैं. जो हमारे ४२५ के लगभग हुआ. उस अनुपात में दैनिक उपयोग की वस्तुओं की कीमत भी रहेगी. हाँ भारत से वहां जाने वालों को जरूर तकलीफ होगी.

  17. जी.के. अवधिया Says:

    घर बैठे कोलम्बो घुमाने और रोचक जानकारी देने के लिए धन्यवाद!

    पढ़कर तथा चित्रों को देखकर आनन्द आ गया!

  18. sktyagi Says:

    हमारी ही तरह मंहगाई डायन वहां भी! ‘उनवतुना बीच’ देख कर आपसे रश्क हो रहा है. हम भी देखेंगे गर खुदा चाहा!!

  19. Bharat Bhushan Says:

    सुदंर और रोचक यात्रा वर्णन के लिए आभार. आकर्षक चित्रों ने चार चाँद लगा दिए.

  20. Gagan Says:

    श्रीलंका की यात्रा करवाने का बहुत-बहुत आभार।
    आज तक (Galle) का उच्चारण गाले ही मालुम था, क्या गोल सही उच्चारण है?

  21. ताऊ रामपुरिया Says:

    श्रीलंका के बारे में इतना कुछ पहली बार चित्रों सहित जान पाये, बहुत आभार आपका.

    रामराम.

  22. J C Joshi Says:

    सुब्रमनिअम जी, दोनों बंधुओं का श्री लंका का भ्रमण कराने के लिए अनेकानेक धन्यवाद! वहाँ की दम्बोला चाय तो मुझे भी किसी ने लाकर दी थी, जिसे पता था मैं काली (बंगाली में लाल) चाय का शौक़ीन हूँ… कुमाऊं में बेड़ीनाग चाय प्रसिद्द है जो हमें अपने ननिहाल से कभी कभी मिल जाया करती थी जब हम छोटे थे…असम में रहे तो आरम्भ में काफी सस्ती, सोलह रुपये किलो, चाय मिल जाती थी…पचास पैसे का नारियल भी मिल जाता था (अस्सी के दशक में)!

  23. Alpana Says:

    बेहद -बेहद खूबसूरत चित्र और जानकारी भी पसंद आई.जब हम वहाँ गए थे उन दिनों शोपिंग मॉल नहीं हुआ करते थे ..लकड़ी के सामान की तारीफें तब भी सुनी थीं/देखा था.यह रेलवे स्टेशन थोडा सा याद है ..वहाँ रेल की सैर तो हमने की थी .शाकाहारी होने के कारण श्रीलंका में अपने होटल के अलावा बाहर जहाँ भी घूमने गए मुझे खाने की दिक्कतें आई थीं [उन दिनों]. ..यहीं स्टेशन से काफी दूर पैदल चलने पर एक होटल मिल पाया था जहाँ मुझे शाकाहारी भोजन मिल पाया था.बाकी अपने प्रवास के दौरान श्रीलंका का यह भाग इतने अधिक विस्तार से नहीं देखा था.. एक बार फिर से वहाँ घूमने जाना हो पायेगा तो यह खूबसूरत भाग भी ज़रूर देखना होगा

  24. Alpana Says:

    @श्री पी.एन. संपत कुमार जी को मनभावन चित्रों और जानकारी हेतु बहुत- बहुत धन्यवाद और इस ज्ञानवर्धक श्रृंखला हेतु बधाई .

  25. पा.ना. सुब्रमणियन Says:

    @ श्री गगन शर्मा:
    आप कदाचित सही सोच रहे हों.वहां के लोगों में Galle को “गोले” उच्चरित करने की प्रवृत्ति पायी जाती है.

  26. renu Says:

    bahut rochak jankari mili, dhanywad ji

  27. विष्‍णु बैरागी Says:

    अनन्‍त जानकारियॉं और मनोरम चित्र। बहुत ही उपयोगी पोस्‍ट है यह, श्रीलंका जानेवालों के लिए। सम्‍पूर्ण सन्‍दर्भ सामग्री है यह तो।

  28. Zakir Ali Rajnish Says:

    जीवंत चित्रण।

    चित्र भी कमाल के हैं।

    शायद आपने ब्‍लॉग के लिए ज़रूरी चीजें अभी तक नहीं देखीं। यहाँ आपके काम की बहुत सारी चीजें हैं।

  29. Abhishek Says:

    आप इन जगहों पर मात्र पर्यटक की तरह ही नहीं एक इतिहासविद्द की तरह भी भ्रमण करते हैं. एक बार फिर महत्वपूर्ण जानकारी दी है आपने. आपकी अगली श्रीलंका यात्रा की भी प्रतीक्षा रहेगी.

  30. Ishwar karun Says:

    adarniya mama ji, malhar dekha. bahut acha laga. srilanka ki yatra vistar mein main bhi kar chuka hun. Polunurva, ratna pur, nuero alia, candy, colombo, galle, tirukonmalai,aadi ki vyapak yaatra ka drishya aapki rachna padh kar taza ho gaya.asha hai achi rachnayen aage bhi milengi. mera blog kaagaz (ishwarkarun.blogspot) dekhen aur comment karen.

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