श्रीनगर के बाग़ बागीचे – चश्मे शाही

कभी कश्मीर  की नालों, नहरों,नदियों  पर लकड़ी के पुल हुआ करते थे जो आज पक्के हो गए और दो साल के अन्दर ही  रेलगाड़ी भी आ जायेगी. इस साल जितने सैलानी आये हैं उतने तो पिछले बीस साल में नहीं देखे गए थे. हमारे यहाँ कोई भिकारी नहीं है. कुछ लोग कामचोरी करने के लिए बहाने बना लेते हैं. यह सब कहना था हमारे चालक महोदय का. वह हमें स्थानीय भ्रमण के लिए ले जा रहा था. शहर के अन्दर की ओर घुसे हुए डल झील के सकरे किनारे  से, जो वहां मेरिन ड्राइव  भी कहलाता है. शहर साफ़ सुथरा था और झील के किनारे सब कुछ लुभावना लग रहा था.

शालीमार, चश्मे शाही और निशात नाम से जाने जानेवाले सभी बागीचे मुग़ल गार्डेन्स की श्रेणी में आते हैं. इन सबके एक तरफ लम्बी चौड़ी डल झील है तो दूसरी तरफ ज़बनवान पहाड़ियों की श्रंखला जहाँ से अनवरत बहने वाले  झरनों का उद्गम हैं. इन स्थलों को इन्हीं विशेषताओं के कारण बागीचों के निर्माण के लिए अनुकूल पाया गया होगा. हमारे चालक महोदय ने झील के किनारे से चलते हुए बोटेनिकल गार्डेन की तरफ गाडी मोड़ दी फिर बताया कि यहीं राज भवन भी है. पुलिस ने गाडी रुकवा दी और सब के उतर जाने के बाद गाडी खाली आगे बढ़ गयी. शायद दस्तूर होगा कि राज भवन के सामने से कोई किसी वाहन से न गुजरे (सुरक्षा कारणों से ?).  कुछ दूर पैदल चल कर हम लोग दुबारा गाडी में बैठ गए.  कुछ ही दूरी पर चश्मे शाही था और वही सड़क ‘परी महल’ की ओर चली जाती है. बागीचे में प्रवेश के लिए टिकट लेने पड़ते हैं. पर्यटकों की अच्छी खासी भीड़ थी परन्तु उनमें विदेशी एक भी नहीं था. इस बागीचे के बारे में पता चला कि एक प्रसिद्द कश्मीरी महिला संत ‘रूपा भवानी’ जिसका पारिवारिक नाम साहिबी था ने ही एक प्राकृतिक जल स्रोत ढून्ढ निकाला था. इसी वजह से नाम पड़ गया ‘चश्मे साहिबी’ जो कालांतर में चश्मे शाही कहलाया. वैसे योजनाबद्ध तरीके से यहाँ के बागीचे को कश्मीर के मुग़ल गवर्नर अली मरदान द्वारा बनवाये जाने का  उल्लेख मिलता है.

चश्में शाही के मुख्य जलकुंड में एक भवन निर्मित है जहाँ कल कल करते हुए ऊपर की पहाड़ियों से पानी गिरता है. वहां भी जल पीने वालों की भीड़ थी. इस जल को विभिन्न पेट की बीमारियों के लिए लाभकारी बताया जाता है सो हम लोगोंने भी बोतलों में पानी संग्रहीत कर लिया. वैसे प्राकृतिक पहाड़ी जल स्रोतों का पानी अच्छा ही होता है.

पहाड़ी को तीन चरणों में समतल किया गया है और बागीचा विकसित  किया गया है. कुछ बड़े वृक्ष भी हैं जिनमें सुन्दर फूल खिले दिखे. क्यारियों में मौसमी फूल लगे हैं और ४/५ प्रकार के गुलाब भी. उद्यान की भव्यता को देख   वहां गुलाबों की प्रजातियाँ अपर्याप्त सी लगीं. 

क्रमशः ……..

27 Responses to “श्रीनगर के बाग़ बागीचे – चश्मे शाही”

  1. विष्‍णु बैरागी Says:

    वाह। वाह। पढकर मन तृप्‍त हुआ और चित्र देखकर ऑंखें। सुन्‍दर। अत्‍यन्‍त सुन्‍दर।

  2. sanjay @ mo sam kaun.....? Says:

    सुन्दर, अतिसुन्दर| तस्वीरों में कलर कंट्रास्ट बहुत ख़ूबसूरती से उभर कर आया है|

  3. udantashtari Says:

    आनन्द आ गया!!

  4. Bhushan Says:

    बहुत सुंदर तस्वीरें और वर्णन. अच्छा लगा कि अब वहाँ काफी शांति है. लोग खुशहाल हो रहे हैं.

  5. Jyoti Mishra Says:

    pure heaven on earth 🙂

  6. dhiru singh Says:

    bahut sundar chitr aur jankari

  7. Puja Upadhyay Says:

    कहते हैं पंडित नेहरु अपने पीने के लिए चश्मे शाही से पानी मंगवाया करते थे…बात में कितनी सच्चाई है मालूम नहीं पर हमारे ड्राइवर ने हमें बताया था 🙂 🙂

    मैं २००५ में कश्मीर गयी थी…आज कश्मीर को आपकी नज़रों से दुबारा देखना अच्छा लगा.

  8. arvind mishra Says:

    धरती का स्वर्ग 🙂

  9. ramakant singh Says:

    BEAUTIFUL POST WITH VERY NICE PHOTO GRAPHS.

  10. shikha varshney Says:

    भारत में बस एक यही पर्यटक नगर देखना बाकी रह गया और बहुत मन है इसे देखने का ..देखें कब यह तमन्ना पूरी होती है. फिलहाल तो आपने घुमा ही दिया.अगली कड़ी का इंतज़ार है.

  11. ajaykumarjha Says:

    आपकी पोस्ट पढी ,मन को भाई ,हमने चर्चाई , आकर देख न सकें आप , हाय इत्ते तो नहीं है हरज़ाई , इसी टीप को क्लिकिये और पहुंचिए आज के बुलेटिन पन्ने पर

  12. राहुल सिंह Says:

    सुंदर चित्र, अगले किश्‍त की प्रतीक्षा है.

  13. प्रवीण पाण्डेय Says:

    कश्मीर की तो बात ही निराली है..

  14. Chaitanya Sharma Says:

    सब कुछ सुंदर है वहां तो….. 🙂 🙂

  15. ललित शर्मा Says:

    खूबसूरत धरती के बेहतरीन चित्रों से सजी पोस्ट

  16. अली सैयद Says:

    गाड़ी से उतार कर पैदल चलवा दिया गया , ये कैसी जन्नत है ? जहां जन प्रतिनिधि , जनता के माई बाप बन कर बैठ जाते हैं ! आपके जमाने में नहीं था पर अब दक्षिण बस्तर में भी यही हालात हैं ! पूरी बस खाली होके चलती है और यात्री पैदल नाका पार करते हैं ! क्या ये मुल्क विशाल बैरक में तब्दील होते जा रहा है ?

    बाकी फोटोग्राफ्स खूबसूरत ,आपकी कलम खूबसूरत ,देश की धरती खूबसूरत ! जनता की सरकारें बदसूरत , उनकी नियत बदसूरत !

  17. यशवन्त माथुर Says:

    कल 29/06/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

  18. अनुपम अग्रवाल Says:

    सही तरह से घूमना और उसका चित्रण आपकी कलम की खूबी है . उसमें फोटो भी मनमोहक हैं . आपको बधाई .

  19. Asha Joglekar Says:

    आपके लेखों के जरिये हम भी धुबारा घूम रहे हैं कश्मीर । बहुत ही खूबसूरत तस्वीरें ।

  20. Asha Joglekar Says:

    कृपया दुबारा पढें ।

  21. JC Joshi Says:

    बढ़िया, आनंद दायक, सचित्र वर्णन!

  22. indiasmart Says:

    हाँ जी, जब राज्य का स्पेशल स्टेटस है तो राजभवन के सामने सवारी कैसे निकलेगी। चित्र और वर्णन बहुत अच्छा लगा।

  23. swati vallabha raj Says:

    आँखों को सुकून मिला….उपयोगी जानकारी…आभार….

  24. anita Says:

    Thanks a lot for sharing such beautiful description and pics of Srinagar ! बहुत सही बखान किया आपने कश्मीर की खूबसूरती का! हम क़रीब २ हफ्ते पहले ही लौटे हैं वहाँ से! बर्फ़ीले पहाड़, Glaciers, हारे भरे ऊँचे पेड़ और झरने व नदियाँ….एक साथ प्रकृति की इतनी नेमते शायद ही कहीं देखने को मिलें! फूलों का तो कहना ही क्या! बहुत ही खूबसूरत और विभिन्न तरह के फूल! Houseboat में रहने का भी अपना एक अलग ही तरह का अनोखा मज़ा है

    मगर पहलगाम, गुलमर्ग और सोनमर्ग की सड़क /सड़कों पर चलना बहुत ही मुश्किल है! पहले का तो हमें पता नहीं, मगर अभी जो देखा है, उसके आधार पर हमने ये बात कही है! जब तक ऊपर देखिए….जन्नत सा खूबसूरत नज़ारा. मगर जैसे ही नीचे नज़र डालिए….मन खराब हो जाता है! पतली सी सड़क..उसी के ज़रिए आना-जाना… दोनों, उसी पर इंसान भी चल रहे, घोड़े भी और गाड़ियाँ भी! आख़िर चलने वाला जाए तो किधर जाए..? (ख़ासकर Chandanwaadi और Sonmarg)
    घोड़ों की वजह से इतनी गंदगी फैली है की पाँव रखना मुश्किल! हमारे शहरों में उतना हॉर्न नहीं बजता जितना वहाँ बिना मतलब बजते देखा..!
    बहुत सुंदर लगा कश्मीर..मगर ये कुछ बातें हैं, जिनपर हमारी सरकार या Tourism Dept को ध्यान देना चाहिए!

    With kind regards!

  25. Alpana Says:

    बड़ी ही सुन्दर जगह है..
    वास्तव में तो न जाने कब देख पायेंगे ..चित्रों में देखा बहुत सुन्दर लगा!

  26. jannu Says:

    बहुत सुंदर तस्वीरें और वर्णन.

  27. ghughutibasuti Says:

    बढ़िया वर्णन। पहाड़ों के झरनों, स्रोतों से पानी पीने का अलग ही आनन्द होता है।
    घुघूती बासूती

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