रोमन साम्राज्य के अभिलेखों में भारत के दक्षिणी तट के टिन्डिस (Tyndis) नामक बंदरगाह का उल्लेख मिलता है और आज के “पोन्नानि” को ही इतिहासकारों ने टिन्डिस होने की सम्भावना व्यक्त की है तो फिर एक बार देख आने के लिए मन बन ही गया. अच्छे से याद है बचपन में हम सब को यह कह कर डराया जाता था कि बेटा पोन्नानि गए तो सुन्नत कर देंगे और टोपी पहना कर वापस भेज देंगे. एक और बात नें भी हमें उकसाया था. समुद्र में उस जगह केरल की सबसे बड़ी नदी “भारतपुज़्हा” आ मिलती है और साथ ही “तिरूर” नदी भी. गर्मियों में वहां अप्रवासी पक्षियों का डेरा रहता है लेकिन हमारे जाते तक वे फुर्र हो चुकी थीं.
हम लोग घर से तो समय रहते निकले थे लेकिन रास्ते में कुछ और महत्वपूर्ण स्थलों में रुकने के कारण शाम पौने पांच तक ही पोन्नानि पहुँच पाये. वहां पहुँचते ही पाया कि बायीं तरफ का रास्ता नए पोन्नानि की तरफ जा रहा था जबकि सीधे जाने पर पुरानी बस्ती पड़ती थी. हमें तो पुराने से मतलब था सो सीधे चल पड़े. रास्ता सकरा था लेकिन दोनों तरफ की छोटी छोटी दुकानों को देख अंदाज़ा हो गया कि बस्ती का वह हिस्सा ज़माने से चले आ रहे व्यवसाय का केंद्र है. जल मार्ग से बस्ती में सामान आदि लाने के लिए प्रयुक्त पुराने नहर भी दिखे. पीछे बैठा भतीजा GPS की सहायता ले मार्ग दर्शन दे रहा था इसलिए कहीं कुछ पूछने की जरूरत नहीं पड़ी. हम लोग सीधे समुद्र तट पर पहुँच गए.
पोन्नानि वैसे है तो बंदरगाह लेकिन अब यह मत्स्य आखेट के लिए प्रख्यात हो चला है (Fishing Harbour). एक तरफ कुछ नावें खड़ी थीं लेकिन जैसा चित्रों में देखा था वैसा जमावड़ा नहीं था. अधिकतर सभी नावें आखेट के बाद लौटने को थीं. हम लोगों ने समुद्र तट और संगम का आनंद उठाया. संगम स्थल पर अनेकों डॉलफिंस को समूह नृत्य करते देख बच्चे रोमांचित हुए.
इन्हें उस पार जाना है – नाव की प्रतीक्षा
यह स्टार फिश चट्टान पर मरा पड़ा था
वैसे पोन्नानी में देखने समझने के लिए बहुत कुछ है लेकिन समयाभाव के कारण वहां के ख्याति प्राप्त जुमा मस्जिद की तरफ चल पड़े. रास्ते में छोटी सी एक चाय की दूकान में अपनी तलब दूर की. जुमा मस्ज़िद के बारे में चाय वाला कुछ बता नहीं पाया क्योंकि पोन्नानि में 50 के लगभग मस्जिद हैं. एक बुजुर्ग से सबसे पुराने मस्जिद के बारे में पूछने पर उसने रास्ता बता दिया. कुछ छोटी गलियों के अंदर से (रिहाइशी) गुजरने पर मानस पटल में बसी मस्जिद की इमारत दिखने लगी. मस्जिद के सामने केरल की पारम्परिक तालाब दिखी जिसके किनारे बैठने के लिए सीमेंट की बेंचें बनी थी और कई लोग वहां बैठे गपियाते दिखे. उस मुहल्ले के लोगों का छोटा सा मरीन ड्राइव.
हम लोगों ने बाहर बैठे सज्जनों से इस बात की पुष्टि कर ली थी कि अंदर प्रवेश करना वर्जित अथवा नियंत्रित तो नहीं है. यह मस्जिद हिज़री संवत 925 (सन 1547) में निर्मित हुई थी और जैनुद्दीन मखदूम (प्रथम) को इसका श्रेय दिया जाता है. इसी व्यक्ति के पोते जैनुद्दीन मखदूम (द्वितीय) नें केरल के इतिहास पर “तुहफतुल मुजाहिदीन” नामक ग्रन्थ की रचना की थी. मस्जिद के इमारत की बनावट उत्कृष्ट पर विशुद्ध स्थानीय है जिसे “नालु केट्टु” कहते हैं. यदि बगल में इस्लामी शैली की छोटी दूसरी इमारत नहीं होती तो पहचान पाना मुश्किल होता. अंदर जाने पर ही पता चला कि हम लोगों ने पिछवाड़े से प्रवेश किया था जहाँ ऊंची क्यारियों में एक ही आकार के पत्थरों का जमावड़ा था. वे इतने नजदीक गड़े थे कि उन्हें कब्र मानने में तकलीफ हो रही है.
पोन्नानी मजहबी शिक्षा का ख्याति प्राप्त केंद्र है और यहाँ कई विदेशी छात्र अध्ययनरत हैं.पोन्नानी को अल अज़हर महाविद्यालय माना जाता रहा है. इस्लाम के सम्मानित धर्म प्रचारक मलिक-इब्न-दिनार ने पोन्नानी आकर बहुत सारे लोगों को प्रभावित कर धर्मान्तरित किया था. वैसे शहर की कम से कम आधी आबादी मुसलमानों की होगी परन्तु धार्मिक सद्भावनाएँ कुंठित नहीं हो पाई.
पोन्नानी में जो हम देख नहीं पाये उनमें एक तो “बीयम” झील है जिसमे नौका दौड़ होती है. इस दौड़ में स्त्रियां भी शामिल होती हैं. पर्यटन के दृष्टिकोण से झील में जल क्रीड़ा के विभिन्न साधन उपलब्ध किये गए हैं.. एक काले पत्थर की पहाड़ी है जो अपने अनोखेपन के लिए प्रसिद्द है. इसकी चुराई हुई तस्वीर ऊपर दे रखी है.
जून 26, 2014 को 5:13 अपराह्न
सुन्दर चित्रों और रोचक जानकारी से भरी इस पोस्ट के लिए धन्यवाद.
जून 26, 2014 को 9:15 अपराह्न
Har bar ki tarah is bar bhi ek aur adbhut vritant ….rochak bhi aur janakari poorna bhi …photograph us jagah ke chitran mein safal hain ..Badhai. @ ishwar karun ,chennai
जून 28, 2014 को 8:16 पूर्वाह्न
LOVELY POST -as usual!
जून 28, 2014 को 8:28 पूर्वाह्न
साफ, सुंदर, व्यवस्थित. ऐतिहासिक तो है ही.
जून 28, 2014 को 9:16 पूर्वाह्न
बढ़िया विवरण दिया है इस खूबसूरत जगह का , चुराई तस्वीर रहस्यमयी लगी है वहां होकर आना था ! मंगलकामनाएं आपको !
जून 28, 2014 को 2:39 अपराह्न
हमारी भी सैर हो गई 🙂
जून 28, 2014 को 6:31 अपराह्न
वाह! मनोहारी दृश्य और रोचक जानकारी…अपनी तो घर बैठे एल टी सी हो गयी!!
जून 28, 2014 को 10:47 अपराह्न
इस स्थान के बारे में जानना ज्ञानवर्धक रहा.चित्र भी अच्छे हैं.
आधुनिक तकनीक की मदद से बिना किसी से पूछे सही स्थान पर पहुँच जाना भी सार्थक रहा .
जून 29, 2014 को 6:42 पूर्वाह्न
वहां जाकर देखने का मन हो आया…क्या पता हम और आप साथ चलें आपके गाईडेन्स में 🙂
जून 30, 2014 को 12:25 पूर्वाह्न
एक बार फ़िर से आपने शानदार जगह से परिचय करवाया।
जुलाई 2, 2014 को 1:09 पूर्वाह्न
बढ़िया.
घुघूतीबासूती
जुलाई 12, 2014 को 1:03 अपराह्न
अच्छी जानकारी और सुन्दर चित्र ! सैर की इच्छा होने लगी ।
जुलाई 13, 2014 को 5:55 पूर्वाह्न
मनोहारी चित्र और रुचिकर जानकारी – आपकी यात्राएँ हम सब का भला करती हैं पर चोरी के चित्र सामने रख दिये ये तो कमाल है !
अगस्त 12, 2014 को 4:16 पूर्वाह्न
आप की वजह से हम कितने ऐसे स्थलों की यात्रा कर लेते हैं जहां जाना मुश्किल है अनेक कारणों की वजह से। सुदर चित्रों से सजा पोन्नानी का वर्णन बहुत भाया। इधर कई दिन ब्लॉगों पर ज्यादाा ध्यान नही दे पाई।
जनवरी 4, 2015 को 7:24 अपराह्न
What’s up, everything is going well here and ofcourse every one is sharing information, that’s in fact
fine, keep up writing.
जनवरी 15, 2015 को 2:07 अपराह्न
पोन्नानी का विहंगम चित्रण देख मन उसी देखने को लालायित हो उठा ….
आभार आपका!
फ़रवरी 8, 2015 को 11:23 पूर्वाह्न
I have read so many articles about the blogger lovers except this paragraph
is genuinely a nice piece of writing, keep it up.
जुलाई 24, 2015 को 5:39 पूर्वाह्न
मल्हार के आलापों को क्या हुआ ।
अगस्त 26, 2015 को 5:24 अपराह्न
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अप्रैल 23, 2016 को 8:46 अपराह्न
सुन्दर वर्णन।काफी खोज खबर ली केरल की।
सुन्दर चित्र
जून 5, 2016 को 8:49 अपराह्न
Good article. Please allow two of your photos to be used in my blog which is in same line of subject http://kallivalli.blogspot.com/2013/02/ponnani-old-and-then.html
जनवरी 17, 2017 को 12:26 अपराह्न
आपको जन्मदिन की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं!
अगस्त 12, 2017 को 10:49 पूर्वाह्न
प्रिय ब्लॉगर,
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सादर
मई 30, 2018 को 10:16 पूर्वाह्न
Hello, after reading this amazing post i am as
well glad to share my know-how here with colleagues.
अगस्त 29, 2018 को 9:01 पूर्वाह्न
Good post. I learn something new and challenging on websites I stumbleupon everyday.
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