पारंपरिक…..चित्र: कामन्स
एक बार एक पिता और पुत्री एक ख़तरनाक संकीर्ण पुल को पार कर रहे थे,
पिता अपनी पुत्री की सुरक्षा के प्रति जागरूक था.
पिता ने पुत्री से कहा, बेटा तुम मेरा हाथ पकड़ लो, नहीं तो नदी में गिर पड़ोगी.
पुत्री ने उत्तर में कहा, नहीं बाबूजी, आप ही मेरा हाथ थामे रखो
.
पिता ने कुछ आश्चर्य से पूछा, इससे क्या फरक पड़ता है.
पुत्री ने कहा, नहीं बाबूजी बहुत फ़र्क है.
मैं तुम्हारा हाथ थामे रहूं और मैं डगमगा जाती हूँ तो हो सकता हैं कि मैं हाथ छोड दूं, लेकिन आप मुझे पकड़े रखोगे, चाहे कुछ भी हो जाए,
मुझे नहीं छोड़ोगे…..
दिसम्बर 6, 2008 को 8:31 पूर्वाह्न
सुन्दर अभिव्यक्ति। अच्छा चित्र।
दिसम्बर 6, 2008 को 11:05 पूर्वाह्न
बहुत बेशकीमती लघु कथा ! सही है एक बाप दस बच्चो को पाल लेता है हंसते हुए ! और कभी कभी दस बेटे भी एक बाप को नही पाल पाते ! बहुत ही गहन अर्थ की कहानी ! बहुत धन्यवाद ! कृपया ऎसी ही कहानिया समय समय पर अवश्य लिखते रहे !
रामराम !
दिसम्बर 6, 2008 को 11:28 पूर्वाह्न
बहुत सुंदर बात
दिसम्बर 6, 2008 को 12:29 अपराह्न
बिल्कुल ठीक बात..
दिसम्बर 6, 2008 को 12:35 अपराह्न
दिल को छूती कहानी….शुक्रिया
दिसम्बर 6, 2008 को 4:30 अपराह्न
वाह वाह बढ़िया दृष्टांत है दादा
दिसम्बर 6, 2008 को 5:44 अपराह्न
काश सारी बेटिया इस बेटी जितनी समझ दार हो !!
मैं तुम्हारा हाथ थामे रहूं और मैं डगमगा जाती हूँ तो हो सकता हैं
कि मैं हाथ छोड दूं, लेकिन आप मुझे पकड़े रखोगे, चाहे कुछ भी हो जाए,
मुझे नहीं छोड़ोगे…..
बहुत ही सुंदर, लघु लेकिन शिक्षा से भरपुर.
धन्यवाद
दिसम्बर 6, 2008 को 7:52 अपराह्न
एक उम्र तक बच्चों के लिये उनका पिता ही सबसे बुद्धिमान, समझदार और ताकतवर इंसान होता है।
दिसम्बर 6, 2008 को 7:59 अपराह्न
बिल्कुल सही कहा बच्ची ने | एक बाप अपने बच्चे का हाथ केसे छोड़ सकता है |
दिसम्बर 6, 2008 को 9:23 अपराह्न
पहले अंग्रेजी के एक फारवर्डेड मेल के ज़रिये ये पढ़ा था। पर जब भी पढ़ें मन को छूता ही गुजरता है।
दिसम्बर 6, 2008 को 10:56 अपराह्न
सन्तान के प्रति पिता की चिन्ता और पिता के प्रति सन्तान का विश्वास । सुन्दर कथा ।
दिसम्बर 7, 2008 को 2:34 पूर्वाह्न
bahut achchhe dang se pita ka charitr pradarshit kiya hai aapne…….
दिसम्बर 8, 2008 को 2:58 अपराह्न
एक छोटे से बच्चे से बाप ने हाथ फैला कर कहा आजा /बच्चा ऊंची जगह पर थी बाप जमीन पर /बच्चा कूंदा बाप पीछे हट गया /बच्चा जमीन पर गिर गया /बच्चे ने पूछा पिताजी ये क्या किया /पिता ने कहा बेटा जिंदगी में अपने बाप पर भी विश्वाश मत करना
दिसम्बर 8, 2008 को 11:08 अपराह्न
गज़ब का लिखा है भाई जी ! शुभकामनायें !
दिसम्बर 9, 2008 को 4:54 अपराह्न
कुछ ना कहते हुए भी सब कुछ कह दिया उस बच्ची नें……
काश….कि ये ज्यादा से ज्यादा लोग समझ सकें…
दिसम्बर 10, 2008 को 6:38 पूर्वाह्न
आपकी बात मन मे उतर गयी, बहुत सही कहा है
दिसम्बर 11, 2008 को 6:59 पूर्वाह्न
Brijmohanshrivastava जी ने एक पुराने चुटकुले को, रूप बदलकर, यहाँ पेश कर, बेहद ही कुंठा का प्रदर्शन किया है ।
सुब्रमणियम जी से निवेदन है कि ऐसी ओछी टिप्पणी को हटा दें, ये आपकी इतनी बेहतरीन पोस्ट में जगह पाने लायक नहीं है।
अप्रैल 28, 2011 को 4:59 अपराह्न
मैं एक बच्ची का पिता हूँ, मुझे आपका लेख पड़कर अपनी प्यारी सी गुडिया की याद आ गयी