कन्नूर या केन्नानोर (केरल)

shenoy-centreकेरल में कन्नूर या केन्नानोर चौथी बड़ी आबादी वाला अरब सागर के तट पर बसा एक प्रमुख शहर है.  यहाँ का बन्दरगाह  १२ वीं और १३ वीं सदी में  अरब देशों से अपने समुद्री व्यापार के लिए ख्याति प्राप्त भी रहा. सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होने के कारण फ्रांसिस्को अल्मेडा नामके प्रथम पुर्तगाली गवर्नर ने यहाँ सन १५०५ में संत अन्जेलो नामसे लेटराइट पत्थरों से एक किले का निर्माण करवाया था. इस किले पर डच लोगों ने १६६३ में कब्जा कर लिया और कुछ समय पश्चात अरक्कल के शाही परिवार को बेच दिया. कालांतर में यह अंग्रेजों के हाथ चला गया. कन्नूर अंग्रेजों के पश्चिमी सैनिक कमान का मुख्यालय बन गया. बात निकली तो बताना होगा कि अरक्कल का शाही परिवार केरल का एक मात्र मुस्लिम राज वंश था और शासन करती थी एक महिला जिसे बीवी कह कर संबोधित किया जाता है. इस बीवी की भी एक अलग कहानी है.

चिरक्कल राजा (मूषिका वंशज १५/१६ वीं सदी) की एक कन्या तालाब में नहा रही थी और पानी में डूबने लगी. संयोगवश वहीं कहीं एक मुस्लिम युवक ने देख लिया. पहले तो वह हिचका फ़िर तालाब में कूद कर राजकुमारी को बाहर निकाल लाया. शरीर को ढकने के लिए उसने अपनी धोती उढा दी. राज दरबार में बात पहुँची. उन दिनों मुसलमान अछूत होते थे. उसके स्पर्श से राजकुमारी अपवित्र हो गई थी. उस युवक को बुलवाया गया और वह अपने प्राणों की खैर मनाते उपस्थित हो गया. मंत्रियों ने एक और बात कह दी. इस युवक ने राजकुमारी को ओढ़ने के लिए अपनी धोती दी थी और उन दिनों की परम्परा के अनुसार धोती दिया जाना और स्वीकार किया जाना विवाह (“सम्बन्धम”) का परिचायक था. मजबूरन राजा को अपनी बेटी उस अपेक्षाकृत गरीब युवक के हाथ सौपनी पड़ी. राजा ने अरक्कल नामक एक छोटा भूभाग उस युवक के नाम कर दोनों को अलग भिजवा दिया. यहीं से उस मुस्लिम राज वंश की उत्पत्ति बतायी जाती है.

आज भी कन्नूर देश के ६२ सैनिक छावनियों में से, केरल में एक इकलौता है. यहाँ डिफेन्स सिक्यूरिटी कोर्प्स का मुख्यालय है. कुछ महत्वपूर्ण मानदंडों के अंतर्गत भारत में रहने योग्य १० शहरों में से एक कन्नूर भी है. कन्नूर में सर्व प्रथम  जर्मनी के बेसल मिशन के द्वारा धर्मान्तरित ईसाईयों को रोजगार देने के उद्देश्य से सन 1852 में एक कपडा बुनने का कारखाना खोला गया था. कारखाने में यूरोपीय बनावट के हथकरघे एक मिस्टर हालर के द्वारा लगाये गए थे जिसने इसी वर्ष मंगलौर में भी एक छोटा सा कारखाना खोला था. विश्व में “खाकी” का सर्वप्रथम उत्पादन इसी हालर के द्वारा मंगलौर में १८५२ में किया गया था. तब से ही हथकरघे कन्नूर की पहचान बन गए और अब भी हैं.

अपने हाथ करघों के अतिरिक्त, बीडी उद्योग, मत्स्य उद्योग तथा कांसे और पीतल से बने विभिन्न सामग्रियों के लिए यह शहर जाना जाता है. शहर भी अपने आप में साफ़ सुथरा और सुंदर है. हमने इसी को अपना बेस कैंप बना लिया था. उडुपी वगैरह से वापसी के बाद हमने इस शहर को निकट से देखने का प्रयास किया. entranceसर्वप्रथम संत अन्जेलो किले पर चढाई की गई. वैसे कहीं चढ़ने की जरूरत नहीं पड़ती. किला तो समतल पर ऊंचे भूभाग पर बना है. हाँ अन्दर जाकर जरूर सीढियों से और भी ऊपर जाया जा सकता है. किले के पीछे, नीचे अरब महा सागर है. preetam-and-nandanयहाँ नीचे उतरना पड़ता है. यहाँ का प्राकृतिक सौदर्य भी अभूतपूर्व कहा जा सकता है. किले के एक बगल से दूर ही मछुवारों की खाड़ी (मपिल्ला बे) से लगी बड़ी बस्ती है.moppilah_bay मत्स्य आखेट से वापस आने पर मछलियों को उतार कर रखने के लिए समुद्र में ही काफ़ी दूर तक जेट्टी (प्लेटफोर्म) बनाई गई है. किले के ऊपर से सागर में आने जाने वाली नौकाओं एवं जहाजों पर नज़र रखी जाती रही होगी और इसी तरह समुद्री व्यापार पर पुर्तगाली, डच या अंग्रेज नियंत्रण रखते रहे होंगे. किले में अलग अलग दिशाओं को केंद्रित किए हुए kannurfort1aकई तोप लगे है. एक तोप मपिल्ला बे (मछुआरों की खाड़ी) की तरफ़ निशाना साधे हुए भी है. समुद्र में बहुत दूर एक हरा भरा भूभाग दिखाई देता है जिसे एजिमला (ezhimala)  कहते है. यहाँ भारतीय नौसेना का अड्डा है. किले के एक छोर में लाइट हाउस भी बना है जो आज भी काम कर रहा है.

kannurfortkannur-fortकिले के ऊपर से नीचे आते समय एक तरफ़ दीवार से लगी हुई पुर्तगाली भाषा में लिखी किले की आधारशिला भी दिखी. नीचे सैनिकों के लिए, और घोडों के लिए पृथक पृथक रहने की व्यवस्था थी. बेरेक्स भी लंबे बने थे. कुछ पुराने मकानात भी हैं जिसमे आजकल कुछ परिवार (संभवतः ऐ.एस.आइ के) रह रहे हैं. इस लिए उन मकानों के अन्दर नहीं जा पाये. चारों तरफ़ बागीचे विकसित किए गए है और पेड़ पौधे पर्याप्त मात्रा में हैं. अब हमारे बाहर निकलने का समय हो चला था. जाते जाते हमने पुरातत्व विभाग के अधिकारीयों से भेंट की और बातचीत के दौरान किले की जानकारी युक्त ब्रोशर के न होने पर अपनी अप्रस्संनता दर्ज कराई. किले का रख रखाव आशा के विपरीत बहुत ही उत्तम था जिसके लिए हमने उन्हें बधाई भी दी.kannur-fort-inside

किले से निकल कर निकट ही मछुआरों  के मोपला (मपिल्ला) बस्ती देख आने की सोची. बहुत ही व्यवस्थित और साफ़ सुथरी मानो योजना बद्ध तरीके से विकसित हुआ हो. सडकों पर विचरते जुए हमें बहुत ही कम लोग दिखे. कारण स्पष्ट था. सभी पुरूष मत्स्य आखेट में गए होंगे. एक विशेष बात उस बस्ती की बू रही. मछली प्रेमियों के लिए तो वह खुशबू ही होगी. वहां से वापसी पर रास्ते में अरक्कल राज परिवार के संग्रहालय को भी देख लिया जहाँ उनके द्वारा प्रयुक्त विभिन्न वस्तुओं तथा अन्य बहुमूल्य चीजों को प्रर्दशित किया गया है.

payyabkam-beachकन्नूर के आस पास में ढेर सारे बीच हैं. एक बीच जिसे पय्यम्बलम कहते हैं, शहर से लगा ही हुआ है. यहाँ एक बहुत ही सुंदर उद्यान विक्सित किया गया है जहाँ बच्चे को गोद में लिए हुए मां की  विशालकाय  प्रतिमा बनी हुई है जो कानाइ कुन्हीरामन नामके शिल्पी द्वारा बनाई गई थी. यही पास में एक नदी आकर समुद्र से मिलती भी है. यह बीच सुंदर और दर्शनीय है हालाकि शाम को यहाँ कुछ भीड़ रहती है. लगभग ८ किलोमीटर उत्तर दिशा में एक और बहुत ही सुंदर और अपेक्षाकृत वीरान बीच है जिसका नाम है मीनकुन्नम . हम लोगों  ने एक meenkunnuऊंचे भूभाग से पहले बीच का नज़ारा देखा फ़िर दूसरे रास्ते से समुद्र तट पर पहुँच गए थे. हमारे पास इन बीचों के सौन्दर्य के वर्णन के लिए पर्याप्त शब्द नहीं है परन्तु चित्र हैं.meenknm-pushpa

sculpture-meenknmदूसरे दिन हमलोग वहां की सबसे बड़ी नदी वालापटनम देखने गए थे जहाँ नौकाएं चलती हैं. यहाँ का मुख्य आकर्षण मेनग्रोव  (Mangrove Forest) के जंगल हैं. यही वो नदी है जो मुथप्पा के मन्दिर के किनारे से गुजरती है.

valapatanam_mangrove_forestकन्नूर में शौपिंग करना भी एक अनुभव है. यहाँ से हम लोगों ने पतले वाले रंगीन चित्रकारी लिए हुए टावेल, बेडशीट आदि खरीद लिए थे. कहीं पर भी मोलभाव  की गुंजाइश नही थी. वैसे बड़े बड़े माल हैं परन्तु यदि पारंपरिक वस्तुओं की तलाश है तो छोटी दूकानों में जाना अच्छा रहता है. यहाँ खाने में सबसे अच्छी बिरयानी होती है जिसका स्वाद ही निराला है. चाहे वेज हो या नॉन वेज. पराठे लच्छेदार मैदा से बनाये जाते हैं परन्तु कुछ होटल्स में रोटी भी मिल जाती है. हाँ   होटलों में बीफ भी मिलती है जिस के लिए कुछ लोगों को हमने बड़े जानवर का मटन कहते सुना था.

कन्नूर के आस पास देखने योग्य खूबसूरत कई अन्य स्थल भी हैं जैसे तलास्सेरी (Tellicherry), भारतीय सर्कस का पलना और प्रशिक्षण केन्द्र. यहाँ अंग्रेजों के द्वारा निर्मित एक किला (फेक्टरी) भी है. माहे भी करीब ही है जो कभी फ्रांसीसियों का उपनिवेश रहा, आजकल पोंडिचेरी (पुदुस्सेरी) प्रशासन के अंतर्गत है. यहाँ आप फ्रांसीसी सभ्यता से भी रूबरू हो सकते हैं. बहुत शीघ्र ही कन्नूर से अंतरराष्ट्रीय  उडाने प्रारम्भ  हो जायेंगी क्योंकि एक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा निर्माणाधीन है.

37 Responses to “कन्नूर या केन्नानोर (केरल)”

  1. दिनेशराय द्विवेदी Says:

    सुंदर केरल की सुंदरता का अनुभव हुआ।

  2. समीर लाल Says:

    बहुत सुन्दर विवरण

  3. limit Says:

    केरल सच मे इतनी खुबसूरत जगह है इतने मनोरम द्रश्य और संस्क्रती……शानदार प्रस्तुती….

    regards
    (seema gupta)

  4. Vinay Kumar Vaidya Says:

    Nice and interesting. I think Pondicherry is located on the East, and Mahe on the West side of India. How they managed the administration in the old days ?
    Thanks.

  5. Abhishek Says:

    अच्छी जानकारी और तस्वीरें भी.

  6. Dr.Manoj Mishra Says:

    उत्कृष्ट गवेश्नात्मक लेख और सुंदर मनमोहक चित्र .मैं तो इनमें खो सा गया .आप के अन्वेषण और लेखनी को बधाई .

  7. संजय बेंगाणी Says:

    शानदार

  8. sajeevsarathie Says:

    great place good written article as well

  9. मिहिरभोज Says:

    बहुत ही सुंदर बर्णन….पहली बार कुन्नुर नाम के साथ कुछ सुखद अनुभूति हुइ है..नहीं तो कुन्नुर मैं कम्यूनिस्ट हत्यारों के बारे मैं ही पढते हैं

  10. संगीता पुरी Says:

    बहुत सुंदर वर्णन किया आपने … चित्र भी उतने ही खूबसूरत … सच बहुत अच्‍छी लगी यह पोस्‍ट।

  11. ताऊ रामपुरिया Says:

    बहुत लाजवाब विवरण और दृश्यावली.

    रामराम.

  12. puja Says:

    vakai badi khoobsoorat jagah hai, ab to kisi din jaane ka plan banana hi padega. mujhe waise bhi samandar aur kile dono bade acche lagte hain.

  13. हरि जोशी Says:

    आलेख पढ़कर लगा जैसे मैं केन्‍नानोर घूम रहा हूं।

  14. Vineeta Yashswi Says:

    behtreen…

  15. नरेश सिंह राठौङ Says:

    इस लेख को देखकर पक्का यकीन हो गया है कि इस धरती का स्वर्ग केरल मे ही है ।

  16. पं.डी.के.शर्मा 'वत्स' Says:

    वाह्! पूर्णत: सजीव चित्रण…..केरल घूम कर आनन्द आ गया……

  17. Dilip kawathekar Says:

    very good information indeed!!!

    You are really an Trourism Ambassador of India. What an authority.

  18. mohan vashisth Says:

    आज तक मैं जैसा सोचता था केरल के बारे में ये तो बिल्‍कुल उलट है। मेरा सोचना गलत हे मैं सोचता था कि केरल तमिलनाडु आदि में शायद ऐसा कुछ भी नहीं है देखने लायक व घूमने लायक लेकिन आज पता चला कि केरल में तो जन्‍नत है जन्‍नत
    बहुत धन्‍यवाद इतनी बढिया जानकारी के लिए

  19. vidhu Says:

    आपकी ये पोस्ट लाजवाब है ….अमूमन मैं लम्बी और बड़ी- बड़ी तिप्न्नी देती हूँ किंतु आपने तो केरल की सैर ही करा दी …वैसे जन.में केरल जाना होगा तब आपसे अधिक जानकारी लेंगे धन्यवाद…गर्मियों में इस सुकून देनेवाली पोस्ट हेतु

  20. Dr.Arvind Mishra Says:

    इतिहास , प्रकृति तथा पर्यटन का तिहरा आनंद !

  21. Gyan Dutt Pandey Says:

    स्वर्गिक आनन्द का स्थल। मन होता है कि पय्यम्बलम के पास ही एक कुटिया हो जहां बस जायें हम!

  22. alpana Says:

    कन्नानूर मेरा देखा हुआ शहर है .
    कोवलम.त्रिवेंद्रम..etc. श्रीलंका जाते समय रुक कर देखा था.

    कान्नानोरे के बारे इतना अधिक मगर आज जाना..राजकुमारी और मुस्लिम युवक वाली कहानी भी पहली बार सुनी..
    शायद एक किला टीपू सुलतान का भी है वहां..यहीं कहीं मछली बाज़ार के आस=पास.??
    केरला है ही बहुत खूबसूरत..कहीं सूखी मिटटी नज़र नहीं आती..लाल बालू और हरियाली..बस..आँखों को मिलता है बेहद सुकून..और वहां के लोग भी मिलनसार लगे.

  23. arsh Says:

    rochak aur gyan vardhak aalekh…..badhaayee

    arsh

  24. राज भाटिया Says:

    अजी लगता है आप ने स्वर्ग से दर्शन करवा दिये, बहुत ही सुंदर लगा आप का आज का यात्रा का लेख, चित्र भी एक से बढ कर एक, ओर मेने पीछला लेख (उडुपी) भी पढा, सच मै हमारा भारत बहुत ही सुंदर लगा, जरुर देखे गे.
    आप क धन्यवाद

  25. - लावण्या Says:

    कुन्न्नुर पर एक बहुत अच्छा आलेख दिया आपने –
    – लावण्या

  26. yoginder moudgil Says:

    सदैव की तरह बेहतर सचित्र-चित्रण किया है आपने बधाई दादा

  27. amar jyoti Says:

    रोचक और आकर्षक जानकारी।

  28. विष्‍णु बैरागी Says:

    निस्‍सन्‍देह तथ्‍यपरक और रोचक जानकारियों वाला आलेख। चित्रों ने आंखें को झपकने से रोक ही दिया।
    ‘खाकी’ के मायके के बारे में जान कर अतिरिक्‍त प्रसन्‍नता हुई।

  29. nirmla.kapila Says:

    abhi abhi keral [kunoor]ke darshan kar ke lautee hoon scha aap ko bata doon ki bahut sunder hai is post ke duara hame jaankari dene ke liye dhanyvad

  30. अशोक पाण्‍डेय Says:

    जितना सुंदर वर्णन है, उतने ही मनमोहक चित्र। आपके आलेख में खूबियां हमेशा रहती हैं।

  31. ranju Says:

    रोचक जानकारी और अदभुत तस्वीरें शुक्रिया इन से रूबरू कराने का

  32. mamta Says:

    इस post को पढ़ कर दोबरा केरल देखने की इच्छा हो आई है ।
    इस बार छुट्टियों मे तो प्रोग्राम बनाना ही पड़ेगा ।

  33. indian citizen. Says:

    wah, ati-uttam, sundar, manohari varnan

  34. sandhya gupta Says:

    Kerala vaastav me dharti par swarga hai.Apni aankhon se to abhi tak nahin dekha par aapki aankhon ne sab kuch bayan kar diya.

  35. Smart Indian Says:

    जानकारी और चित्र दोनों ही बहुत अच्छे हैं. विश्व में “खाकी” का सर्वप्रथम उत्पादन के बारे में जानकार बहुत खुशी हुई.

  36. anupam agrawal Says:

    बहुत सुन्दर .

    और जानकारीपूर्ण भी

  37. कौतुक Says:

    तस्वीरें बहुत ही अच्छी हैं. लगता है साक्षात् देख रहे हों. और आपका वर्णन के क्या कहने. घुमाते रहिये हमें दुनिया घर बैठे.

    धन्यवाद की बोरियां भेज रहा हूँ, पावती भिजवा दें.

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