केरल में मस्ती भरी एक शाम

इस वर्ष दुबारा केरल जाना हुआ. वह भी मई के महीने में. रेलगाड़ी का सफ़र तो सुखदायी रहा परन्तु वहां पहुँचने पर जो अनुभूति हुई उसकी कल्पना से ही डर लगता है. वैसे तापमान तो अधिक नहीं कहा जा सकता था, लगभग ३८-४० के करीब, लेकिन तटीय प्रदेश होने से उमस अत्यधिक थी और शरीर के हर भाग से पसीने का जल प्रपात प्रवाहित हो  रहा था. तभी समझ में आया कि केरल के लोग केवल लुंगी पहन कर और बिना बनियान के गमछा लिए क्यों रहते हैं. अब जब आ ही गए हैं, वह भी अपने ही घर, तो समझौता तो करना ही पड़ेगा ना.

हम अकेले ही नहीं थे, हमारा पूरा कुनबा जमा हुआ था, सबसे छोटे भाई के पुत्र के जनेऊ के लिए. भतीजे भतीजियों, भांजे भांजियों की फौज भी थी जो हमारी तरह ही त्रस्त थे. श्रीकांत, उत्तर भारत में जन्मा, पढ़ा पला एक भतीजा, अभियांत्रिकी में केरल में ही शिक्षित हुआ था और उसी ने सुझाव दिया कि शाम पहाड़ियों की सैर के लिए चलते हैं. उसने पढाई कम और घुमाई ज्यादा कर रखी थी. वैसे गाड़ियों की कमी नहीं थी. एक शाम दो गाड़ियों में सवार पूरा वानर दल तीन भाईयों  के संरक्षण में निकल पड़ा. हमारे घर के पूर्व में लगभग १५/२०  किल्कोमीटर की दूरी पर पश्च्घिमी घाट की पर्वत श्रेणियों से सामना हो जाता है. हमारे भतीजे श्रीकांत ने सुझाव दिया कि हम सब “मरोत्तिचाल” चलते हैं. वहां एक छोटे जलप्रपात के अतिरिक्त पहाड़ के उस पार का दृश्य बड़ा लुभावना है. उसने हमें पटाने के लिए  दूरी बतायी थी केवल १० किलोमीटर परन्तु वास्तव  में वह जगह २० किलोमीटर से अधिक रही होगी. एक गाडी कोच्ची वाले भाई की थी और वही चला रहा था.  दूसरा हमारे सबसे छोटे भाई (मुंबई वाले) की थी. जिसे हमारा भतीजा श्रीकांत चला रहा था.

अलगप्पानगर, कल्लूर आदि कस्बों से होते हुए हमने जंगल में प्रवेश किया. एक जगह गाड़ियों को खड़ा कर पहाड़ियों की ओर जाने के लिए पैदल चल पड़े. लगभग डेढ़ किलोमीटर चढ़ना था. पगडण्डी बनी हुई थी परन्तु बगल से ही सीमेंट की बनी एक नाली भी थी जिसमें से जल प्रवाहित होता हुआ नीचे आता है. परन्तु उस समय नाली सूखी थी. कुछ दूर चलने के बाद ऊपर से नीचे एक टोली आती दिखी. उन्होंने बताया कि पानी बिलकुल नहीं है. यह सुन हम सब का उत्साह जाता रहा. सब मजा किरकिरा हो गया. कुछ दूरी पर हमारी दाहिनी तरफ चट्टानों से भरा एक ढलान था. नीचे सूखी नदी. कुछ कुछ जगहों पर गड्ढों में पानी भरा हुआ था. इतने में हमारे एक भाई ने एक चट्टान की तरफ इशारा किया और कहा देखो क्या बना है. एक स्त्री सर पर बोझ लादे बगल में बच्चे को लिए दिखाई पड़ रही थी. प्राकृतिक क्षरण से ही ऐसा दुर्लभ चित्रांकन हुआ है. हम

प्राकृतिक शिल्प

सूखी ‘मनली’ नदी के पास

संपत (भाई) और नवनीत (भतीजा)

लोगों ने कुछ समय वहां बिताया. विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों के कारण चारों तरफ हरियाली थी और हवा भी चल रही थी. काफी कुछ मटरगश्ती कर लेने के बाद तय हुआ कि “चिम्मिनी” नामक एक पुराने बाँध को भी देख आया जावे. बाँध तक जाने के लिए  वहां से एक सुगम रास्ता भी था.

रबर के बागान

एक कटोरे में रबर के दूध को इकठ्ठा किया जाता है – प्रक्रिया का अवलोकन

दोनों गाड़ियां फिर अगले गंतव्य के लिए निकल पड़ीं. कुछ दूर जाने पर रबर के बागान दिखे. आगे चल कर तो सड़क के दोनों तरफ रबर के घने बागान थे जिस कारण सड़क पर अँधेरा छाया था.  रास्ते में एक विशालकाय पेड़ दिखा तो हम लोगों ने गाड़ियाँ रोक दीं. जड़ के पास पेड़ का तना भीमकाय दिख रहा था. हम लोगों के समझ में नहीं आया कि वह पेड़ किस प्रजाति

इसकी जड़ों को तो देखें!

का था. वहां बताने वाला भी कोई नहीं था. बाँध  के  पास पहुँचने पर गाड़ियों को खडी करने के लिए जगह बनी थी. वहां हमने

देखा कि चारों तरफ हाथी की लीद पड़ी थी. वहां के एक दूकानदार से पूछने पर उसने बताया कि वहां जंगली हाथियों की आवाजाही होती है. यहाँ हमलोग दो गुटों में बंट गए. एक चला बाँध के ऊपर तो दूसरा बाँध के द्वारों को देखने.बाँध के ऊपर से पूरा संचित जल दीखता है और चारों तरफ का दृश्य भी मनमोहक है. करीब एक घंटे बच्चों ने वहां मस्ती  की और फिर घर वापसी का सफ़र शुरू हुआ. आते  जाते रास्ते भर अन्ताक्षरी का सिलसिला चला. घर पहुँचते पहुँचते रात ८ बज चुके थे परन्तु सभी ताजगी से ओत प्रोत.


31 Responses to “केरल में मस्ती भरी एक शाम”

  1. भारतीय नागरिक Says:

    bahut sundar drishya.. marottichal dekhne ko click kar rahe hai..

  2. arvind mishra Says:

    पूरे बाल गोपाल के साथ गृह पर्यटन हुआ है -नयनाभिराम चित्र !
    बओबाब का वृक्ष तो नहीं है -ताने की मोटई देख कर लग रहा है !

  3. aachaaryjee Says:

    आईये सुनें … अमृत वाणी ।

    आचार्य जी

  4. समीर लाल Says:

    बढ़िया वृतांत और उम्दा तस्वीरें..आनन्द आ गया.

  5. नीरज जाट जी Says:

    बहुत बढिया सुब्रमण्यम जी,
    आनन्द आ गया।

  6. विवेक रस्तोगी Says:

    वाह जीवंत दृश्य उपस्थित कर दिये ।

  7. shobhana Says:

    aannd aa gya aapki yh yatra vratant padhkar.is bhri garmi me keral ki hriyali dekhkar man khush ho gya .
    abhar

  8. alpana Says:

    *मनली नदी सूखी..उस पर तापमान इतना!..इन दिनों तो वहाँ बारिशें होती हैं.
    वाकई बहुत बड़ा परिवर्तन हो रहा है मौसम में.
    *ये बड़ा पेड़ भी कम अजूबा नहीं..इस की जड़ें!!!!
    *बहुत समय पहले जब रबर के पेड़ और इसके फार्म देखे थे मैंने..तब नारियल के कटोरे में इनका दूध एकत्र किया जाता था ,सुबह सभी पेड़ों से बाल्टी में दूध इकट्ठा करके जमाते थे.[?] वहाँ के गावों में घर-घर में छोटी सी मील भी वहीँ खेत में हुआ करती थी .जहाँ ‘ जमा रबर ले कर हाथ से मशीन चला कर रबर की चादर बनाई जाती थी..और सुनते थे कि काली चादर के ज्यादा दाम मिलते हैं और रबर की खेती में अधिक मुनाफा है.
    *सभी चित्र बहुत सुन्दर हैं…बच्चों ने तो खूब मज़ा किया होगा.
    कुछ चित्रों को तो बड़े ही कलात्मक ढंग से लिया गया है.

    * बहुत ही सुन्दर यात्रा विवरण .

    उत्तर भारत में रहने वालों को एक बार ज़रूर दक्षिण के इस हरे भरे प्रदेश में जाना चाहिए.

  9. ali syed Says:

    आदरणीय सुब्रमनियन जी ,
    बड़े चश्मिश फोटोग्राफ्स हैं , सबसे बड़े ग्रुप को काउंट किया 6 : 3 का रेशियो है , हम भी वहां हा॓त॓ तो य॓ रेशियो 7 : 3 हा॓ जाता , वैसे वहां की उमस भरी गर्मी ने उम्मीद जगाई थी कि लुंगी…बिना बनियान…गमछे वाले गेट अप में आपका भी एक फोटो देखने मिलेगा पर ………. 🙂
    खैर मजाक छोड़ा जाये…बच्चे शरारती और ज़हीन लग रहे हैं… हंसी इन चेहरों पर फबती है …यक़ीनन अल्लाह मियां ने ऐसे बन्दों के लिये ही ईजाद की होगी … बेहद खूबसूरत वृत्तान्त ! आपकी वज़ह से पुर सुकून , पुर लुत्फ़ लम्हों का मज़ा हम भी ले पाये ! आपका बहुत बहुत शुक्रिया !

  10. अनुनाद सिंह Says:

    हरियाली ने मन मोह लिया।

  11. Anurag Says:

    saw water fall in your link… its really nice…

  12. संजय बैंगाणी Says:

    तस्वीरों देख कर ही वहाँ के खुशनुमा मौसम का अन्दाजा हो रहा है. असम में था था तब ऐसा ही लगता था.

    सुन्दर विवरण.
    तस्वीरें भी 🙂

  13. विनय प्रजापति Says:

    आपकी मस्ती में हम भी मस्त हो गये, वैसे भी चित्रों की सजीवता बहुत कुछ कह रही है

  14. vinay vaidya Says:

    वाह-वाह !
    उमस और गर्मी तो यहाँ अभी भी है ।
    और इसलिए इन खूबसूरत स्थलों के दृश्य देखते हुए लगा कि
    बस अभी पानी में छलाँग लगा ली जाये !
    फ़ोटोग्राफ़ी कमाल की है ।
    आभार और धन्यवाद !

  15. चंदन कुमार झा Says:

    मिजाज खुश हो गया जी इस यात्रा वृतांत को पढकर । तस्वीरे अच्छी आयी है । धन्यवाद

  16. amar Says:

    रोचक जानकारी एवं चित्र.
    चट्टान पर बना प्राकृतिक शिल्प
    तो अद्भुत है.
    आभार.
    अमर

  17. रंजना. Says:

    वाह बैठे ठाले फ़ोकट में इतने मनोरम प्रान्त की यात्रा कर आये हम आपके सौजन्य से….बहुत बहुत आभार…
    बड़ा आनंद आया रोचक वर्णन पढ़ और मनोरम चित्र देख…

  18. renu sharma Says:

    bahut badhiya hai ,
    padhkar achchha laga

  19. लावण्या Says:

    बहुत सुन्दर चित्र , हरियाली और प्रकृति की अदभुत झांकी दीखलाई आपने – आभार
    स स्नेह,
    -लावण्या

  20. Gyan Dutt Pandey Says:

    मस्ती?! सही में टीशर्ट में आप दुबले-छरहरे बहुत जंचते हैं मिस्टर सुब्रमणियन!

  21. संगीता पुरी Says:

    कमाल के दृश्‍य .. बहुत रोचक विवरण !!

  22. nirmla.kapila Says:

    सुन्दर तस्वीरों के साथ सुन्दर विवरण वीडियो सोने पर सुहागा। धन्यवाद्

  23. seema gupta Says:

    वाह इतनी सुन्दर हरी भरी तस्वीरे देख कर एक सुखद एहसास हुआ….
    regards

  24. satishsaxena346 Says:

    बहुत प्यारे चित्र है , कई नवीन जानकारियों के लिए आपका आभार ! ऐसे ही घुमते रहा करो जिससे हमें फायदा होता रहे :-))

  25. प्रकाश सिंह "अर्श" Says:

    आदाब हुज़ूर,
    आपके ब्लॉग पर जाना हुआ आज मुद्दतों बाद , अच्छा लगा यात्रा वृतांत पढ़ कर और खास कर हरियालियाँ देख कर ….दिलचस्प बाते की है आपने … अच्छा लगता है आपके ब्लॉग पर जाना ….
    आपका
    अर्श

  26. ghughutibasuti Says:

    बहुत सुन्दर फोटो और सुन्दर विवरण । हम भी आपके साथ घूम आए।
    घुघूती बासूती

  27. Kajal Kumar Says:

    इतने सुंदर चित्रों के लिए आभार. मैं जब भी केरल गया हूं घर जैसा ही लगा है मुझे

  28. त्रिप्रयार का श्री राम मंदिर और “स्नेह तीरम” समुद्र तट « मल्हार Malhar Says:

    […] में निकल पड़े थे जैसा पिछले पोस्ट “केरल में मस्ती भरी एक शाम“  में बताया था.  दूसरे  दिन सुबह होते […]

  29. Asha Joglekar Says:

    बहुत सुंदर सचित्र यात्रा वृतांत । हम भी हाल ही में केरल गये थे और ये पेड हमने भी देखा था । तस्वीरें भी खींची थीं ।केरल है ही इतना सुंदर ।

  30. rahulsingh Says:

    aapka ghumna aur yah masti bani rahe. screen naynabhiram aur aatmiya bana rahega.

  31. mamta Says:

    धन्यवाद इस सुन्दर और मस्ती से भरपूर्ण पोस्ट के लिए।

    विडिओ तो और भी अच्छा लगा।

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